अबू धाबी में तीन भारतीय बच्चे पढाई से महरूम

अबू धाबी। उत्तर प्रदेश का एक परिवार यहां बेरोज़गारी से जूझ रहा है, अब हालात ऐसे बने हुए हैं कि एक साल से नौकरी नहीं होने से उनके तीनों बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। यह परिवार उत्तर प्रदेश मूल के शमशेर सिंह का है। हाल ही एक बेटी निराद का जन्मदिन था जो वो नहीं मना सकी। उसका बड़ा भाई अक्साद और बहन भी स्कूल नहीं जा रहे हैं। ये बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं लेकिन घर के हालात ऐसे हैं कि यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है।

इनके पिता पिछले एक साल से नौकरी की तलाश में हैं लेकिन कोई काम नहीं मिल रहा है। निराद की बड़ी बहन लालेशा 13 साल की है जिसने साल 2014 में ही स्कूल जाना छोड़ दिया था जबकि भाई तो कभी स्कूल गया ही नहीं। शमशेर सिंह की जिंदगी का एक पहलू ओर भी है। उसने साल 2000 में श्रीलंका की फातिमा फरज़ाना से निकाह कर लिया था। घर वालों के खिलाफ जाकर अपने प्यार के लिए उसने इस्लाम कुबूल कर लिया था। उसने गाले निवासी फातिमा से शादी की थी। 46 साल का शमशेर सिंह शाकिर बन गया था जिसके चलते उसका परिवार उसके खिलाफ हो गया था।

अबू धाबी में 27 साल रहने के दौरान उसने अनेक नौकरियां की हैं जिसमें सेल्समैन, परचेजर, टाइमकीपर, हाउसकीपर एवम सुपरवाइजर के पद शामिल हैं। शाकिर ने इस दौरान एक अच्छी सेलरी वाली नौकरी की काफी तलाश की लेकिन नहीं मिली, अलबत्ता साल 2015 में सिटी ट्रांसपोर्ट में जो नौकरी वह कर रहा था वो भी जाता रहा। इन हालात के चलते वह अपने और परिवार के लोगों के वीजा का नवीनीकरण नहीं करवा सका।

अपनी इस जिंदगी को वह संघर्ष वाली जिंदगी का नाम देते हुए कहते हैं कि में बिना किसी सहारे के जूझ रहा हूं। मेरा परिवार ही मेरी ताक़त है लेकिन मेरे बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, यह पीड़ादायक है। बैंक से क़र्ज़ का प्रयास किया लेकिन उस वक़्त काम तनख्वाह थी तो लोन नहीं मिला।

बच्चों की शिक्षा के लिए बैंक से क़र्ज़ की कोशिश की लेकिन उन्होंने नहीं दिया। अब वह अपने घर भी नहीं जा सकता है और श्रीलंका भी नहीं जा सकता। अब हालात यह हैं कि पिछले 6 -7 महीने से घर का किराया नहीं दिया है जबकि मकान मालिक ने फ़रवरी माह तक का समय दिया है।