अब पैसे के कमी में नहीं रुकेंगी मनसूबे

पटना 25 मई : तरक्की मंसूबों को अब सतह पर उतारना आसान हो जायेगा। रक़म निकलने को लेकर जो फाइल इधर-से-उधर दौड़ायी जाती थी, उस पर रोक लगा दी गयी है। अब सिर्फ मंसूबा और तरक्की महकमा की मंजूरी लेकर रक़म निकाली जा सकती है। पहले मंसूबा मंज़ूर कमेटी की मंजूरी के बाद मंसूबा महकमा फाइल जाती थी, वहां जायजा के बाद इजाजत मिलती थी।

हिसाब देने में लगता था वक़्त

तरक्की मंसूबों के लिए अफसर रक़म तो निकाल लेते थे, लेकिन हिसाब देने में सालो लग जाते थे। नतीजा यह होता था कि बड़ी रक़म का डीसी बिल महालेखाकार दफ्तर को नहीं मिलता था। मर्क़जी मंसूबा में खर्च की अफादियत सर्टिफिकेट का हिसाब वक़्त पर नहीं भेजा जाता था, नतीजा यह होता था कि इंदिरा रिहायिस जैसी अहम मंसूबों की दूसरी किस्त की रक़म मिलने में देरी हो जाता था।

हुकूमत ने यह इन्तेजाम कर दी है कि रक़म निकलने के वक़्त ही अफसरों को बताना होगा कि वह कब डीसी बिल और अफादियत सर्टिफिकेट दे देंगे। तय वक़्त में खर्च का हिसाब नहीं देने पर जिम्मेवार अफसरों पर कार्रवाई भी हो सकती है।