अफ़्ग़ान सदर अशर्फ़ ग़नी ने कहा है कि आइन्दा माह तालिबान के साथ बैनुल अक़वामी अमन मुज़ाकरात की मुम्किना बहाली की अव्वलीन शर्त दहशतगर्दी का ख़ात्मा होगी। अफ़्ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और अमरीका के नुमाइंदे 11 जनवरी 2016 को पाकिस्तानी दारुल हुकूमत इस्लामाबाद में इन मुज़ाकरात में शमूलीयत की ग़रज़ से इकट्ठे होंगे, जिनमें जुलाई के माह से जुमूद के शिकार अमन मुज़ाकरात को दोबारा से शुरू करने की कोशिशों पर बात-चीत होगी। अमन मुज़ाकरात उस वक़्त रुक गए थे जब तालिबान लीडर मुल्ला उमर की दो साल क़ब्ल हलाक हो जाने की ख़बर आम की गई थी।
मुल्ला उमर की हलाकत के ऐलान के बाद तालिबान की सफ़ों में मज़ीद फूट और दराड़ पैदा हो गई जिसकी असल वजह तालिबान की क़ियादत बनी। तालिबान के मुख़्तलिफ़ ग्रुपों के माबैन लीडरशिप की जानशीनी का तनाज़ा खूँरेज़ साबित हुआ।
मुल्ला उमर के नायब मुला अख़तर मंसूर की बतौर नए लीडर क़ानूनी हैसियत को असकीरत पसंदों के चंद हल्क़ों ने तस्लीम करने से इनकार कर दिया। मुल्ला अख़तर मंसूर ने जुलाई 2015 में तालिबान के नए लीडर की हैसियत से मुल्ला उमर की जानशीनी अख़्तियार कर ली थी।