अमित शाह का भाजपा का “शहंशाह” बनना तय!

वज़ीर ए आज़म नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले अमित शाह का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सदर बनना तकरीबन तय माना जा रहा है। हालांकि उनके सदर की रस्मी तौर पर ऐलान करने में अभी दो-तीन दिन लग सकते हैं।

माना जा रहा है कि मोदी से नजदीकी और लोकसभा इंतेखाबात में यूपी के नतीजों ने शाह की हिमायत को मजबूत किया है। नए सदर को लेकर शाह के नाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भी रज़ामंदी है। ज़राये के मुताबिक, अमित शाह के नाम का ऐलान बजट सेशन से पहले हो सकता है।

गौर हो कि मौजूदा सदर राजनाथ सिंह के इक्तेदार में वज़ारत खारेज़ा का ओहदा संभालने के बाद शामिल होने के बाद भाजपा के नए सदर को लेकर पार्टी के अंदर कवायद तेज हो गई। पहले चर्चा थी कि वज़ीर ए आज़म के बाद पार्टी सदर का ओहदा भी गुजरात को मिलने पर कुछ लीडरों को एतराज हो सकता है, लेकिन पार्टी ने इन मुद्दों को पीछे छोड तंज़ीम की कमान अमित शाह को सौंपने की तकरीबन तैयारी कर ली है। संघ भी इस पर कुछ दिनोमें मुहर लगा देगा। इसी के साथ शाह की ताजपोशी का रास्ता साफ हो जाएगा।

अमित शाह के नाम की चर्चा बुध के रोज़ कैबिनेट के बाद वज़ीर ए आज़म के दफ्तर (पीएमओ) में पीएम नरेंद्र मोदी, अरूण जेटली, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी के बीच हुई बैठक के बाद तेज हो गई। इससे पहले, हुकूमत तंज़ीम के बाद पार्टी तंज़ीम में बदलाव की अटकलों के बीच भाजपा सदर और वज़ीर ए दाखिलाराजनाथ सिंह ने कहा कि उनके जानशीन की तकर्रुरी को लेकर बहस जारी है।

राजनाथ सिंह से जब पूछा गया कि नए भाजपा सदर के नाम का ऐलान कब होगा, उन्होंने कहा कि चर्चा अभी भी चल रही है। खबर है कि राजनाथ और अरूण जेटली व नितिन गडकरी समेत पार्टी के सीनीयर लीडरों ने बुध के रोज़ मरकज़ी काबीने की बैठक के बाद पीएम नरेंद्र मोदी से इस बारे में चर्चा की।

राजनाथ ने ऐलान किया है कि वह “एक शख्स एक ओहदा ” के पार्टी के असूल के मुताबिक जल्द ही पार्टी के सदर के ओहदा छोड देंगे । भाजपा ज़राये का कहना है कि जैसे ही अमित शाह का ऐलान होगा, उससे ठीक पहले राजनाथ सिंह सदर के ओहदा से इस्तीफा देंगे।

पार्टी ज़राये के मुताबिक, बुध की शाम को ही मोदी, राजनाथ सिंह, अरूण जेटली और नितिन गडकरी के बीच इस मसले पर बैठक हुई, जिसमें अमित शाह के नाम को फाइनल कर दिया गया। भाजपा ज़राये का कहना है कि अगले पार्टी सदर के ओहदा की दौड में भाजपा जनरल सेक्रेटरी अमित शाह के इलावा जेपी नड्डा और ओम प्रकाश माथुर का भी नाम था, लेकिन पार्टी लीडरो को लगा कि अमित शाह को ही तंज़ीम की बागडोर दी जानी चाहिए।

इसकी वजह यह है कि पार्टी लीडरों को खतरा है कि हुकूमत बनने के बाद तंज़ीम कहीं नजरअंदाज न हो जाए, जिससे आने वाले वक्त में पार्टी को नुकसान हो सकता है। शाह के हक में इसलिए भी बात बनी, क्योंकि उन्होंने ही यूपी में तकरीबन मुर्दा पडे भाजपा की तज़ीम में एक साल से भी कम वक्त में जान फूंकी और वहां पार्टी को भारी कामयाबी मिली।

इसी वजह से खुद मोदी का भी तर्क है कि शाह को तंज़ीम की जिम्मेदारी देने से यूपी की तरह ही मुल्कभर में पार्टी मजबूत हो सकती है। वैसे भाजपा हेडक्वार्टर पर बुध की रात ही पार्टी ओहदेदारो और वुजराओं की डिनर पार्टी होने वाली थी, जिसमें भाजपा में मुम्किना बदलावों पर चर्चा होने थी, लेकिन बिहार में राजधानी एक्सप्रेस हादिसे की वजह से इसे मुल्तवी कर दिया गया।

कई सीनीयर लीडरों के सरकार में जाने के बाद पार्टी में बडे पैमाने पर बदलाव देखने को मिल सकते हैं। भाजपा की आली कियादत और नज़रिया के सतह पर उसकी आली तंज़ीम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरकार की तश्कील के बाद पार्टी को मुतहर्रिक और मजबूत देखना चाहते हैं, खासतौर पर महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू कश्मीर में इस साल के आखिर या अगले साल की शुरूआत में होने वाले विधानसभा इंतेखाबात के मद्देनजर वे ऐसा चाहते हैं।