लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार शपथ लेने जा रही है. इस बीच राजनीतिक गलियारों में सबसे बड़ी चर्चा इस बात को लेकर है कि मौजूदा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की भूमिका क्या होगी. क्या उन्हें सरकार में शामिल किया जाएगा? अगर वह सरकार में शामिल होते हैं तो उन्हें कौन का मंत्रालय मिलेगा? क्या वह देश के अगले गृह मंत्री बनेंगे? या फिर वह सरकार से बाहर रहते हुए पार्टी को और मजबूत बनाने के लिए काम करते रहेंगे.
दरअसल, संभावित मंत्रिमंडल को लेकर मंगलवार को पीएम मोदी और शाह के बीच लंबी चर्चा हुई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच करीब 5 घंटे तक बातचीत होती रही. इस बीच पार्टी का धड़ा इस बात की वकालत कर रहा है कि अगले कुछ ही महीनों में पार्टी को कई अहम राज्यों में चुनाव का सामना करना है. ऐसे में अमित शाह को इन चुनावों के बाद मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए. दरअसल, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में अगले साल तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इनमें से तीन राज्यों हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में पार्टी की सरकार है जबकि बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी ने दिल्ली और बंगाल में शानदार प्रदर्शन किया है. ऐसे में पार्टी के एक धड़ा चाहता है कि इन राज्यों में जीत सुनिश्चित कराने के बाद शाह, मोदी सरकार का हिस्सा बने.
इस बीच मंगलवार को मोदी और शाह के बीच हुई लंबी मुलाकात में किन मुद्दों पर बात हुई, इस बारे में आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा गया, लेकिन माना जाता है कि दोनों नेताओं ने दूसरी बार मोदी सरकार के गठन की बारीकियों पर चर्चा की होगी. इस बात पर भी चर्चा हुई होगी कि किन नेताओं को मंत्री बनाना है और किन्हें किस मंत्रालय का प्रभार सौंपना है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रिपरिषद में पश्चिम बंगाल एवं तेलंगाना जैसे राज्यों में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन की झलक मिल सकती है और इन राज्यों से चुने गए सांसदों को मंत्री पद दिया जा सकता है. कई नेताओं का मानना है कि पिछली सरकार के सबसे प्रमुख सदस्यों को मंत्री पद पर बरकरार रखा जा सकता है.