अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के कई गिरोहों को गैर मुल्की दहशतगर्द तंज़ीमो की फहरिस्त में शामिल करने के अगले दिन कहा कि उसने पाकिस्तान वाके इस दहशतगर्द तंज़ीम (लश्कर-ए-तैयबा ) को लेकर अपना फिक्र जाहिर किया है। वज़ारत ए खारेजा की तरजुमान मैरी हार्फ ने कहा कि तालिबान और दिगर दहशतगर्द तंज़ीमो का खतरा कोई नया नहीं है।
यह सिर्फ पाकिस्तान के लिए खतरा नहीं है बल्कि यह अफगानिस्तान और हिंदुस्तान के लिए भी खतरा है और साबिक में अमेरिका के लिए भी खतरा रहा है। लश्कर से जुडे तंज़ीमो को बैन किए जाने के अमेरिकी हुकूमत के कदम पर पाकिस्तान के रद्दे अमल के बारे में पूछे जाने पर कि वह अमेरिका के इस कदम पर इन तंज़ीमों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाबंद नहीं है, क्योंकि यह यूए की ओर से लगायी गयी पाबंदी नहीं है।
हार्फ ने कहा कि हमने पाकिस्तान के साथ बेहद दोस्ती के साथ काम किया है। हार्फ ने यह भी बताया कि अमेरिकी हुकूमत ने 23 मई को अफगानिस्तान के हेरात वाके हिंदुस्तानी कौंसिल खाने (Indian Consulate) पर हुए हमले के ताल्लुक में अपनी मालूमात हुकूमत ए हिंद के साथ साझा की है। बेशक हमने लश्कर से जुडी अपनी फिक्र साफ कर दी है। इसलिए हमने लश्कर और उससे उससे जुडे गिरोहों को दहशगर्द तंज़ीमो की फहरिस्त में शामिल किया है और इसलिए हम उन्हें मिलने वाली माली मदद और दिगर मदद
को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। हार्फ ने कहा कि अमेरिका ने लश्कर पर कई साल पहले ही पाबंदी लगा दिए थे और अब इससे मुताल्लिक गिरोहों पर भी पाबंदी लगाकर अमेरिका यह यकीन दहानी करना चाहता है कि इनके जरिये लश्कर को मिलने वाली मदद पर भी रोक लगे जिसका इस्तेमाल लश्कर अपनी सरगर्मियों के लिए करता है।
कराची हवाईअड्डे पर हमले के बाद शुमाली वजीरिस्तान में चलाए जा रहे फौजी मुहिम पर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से पाकिस्तान की कियादत में चलाया जा रहा है। अमेरिका पाकिस्तान में दाखिली सेक्युरिटी और इस्तेहकाम को बढावा देने की कोशिश में वहां की हुकूमत की मदद करता आ रहा है, लेकिन मौजूदा फौजी मुहिम पूरी तरह से पाकिस्तान की कियादत में चलाया जा रहा है।