अपोज़िशन पार्टीयों बी जे पी और बाएं बाज़ू का आज अरकान-एपार्लियामेंट और अरकान असेम्बली को फ़ौरी ना अहलीयत का सामना करने से बचाने वाले आर्डीनैंस के सिलसिले में तसादुम होगया। बी जे पी ने हुकूमत के फ़ैसले की मुख़ालिफ़त करते हुए उसे धोका दही, दग़ा बाज़ी और क़ातिलों को अरकान मुक़न्निना बनाने की एक कोशिश क़रार दिया। अरकान मुक़न्निना के बारे में आर्डीनैंस को कल मर्कज़ी काबीना ने मंज़ूरी दी है जिस पर आज तन्क़ीदों का आग़ाज़ होगया है। कांग्रेस के क़ाइद मर्कज़ी वज़ीर-ए-इत्तलात-ओ-नशरियात मनीष तीवारी ने आर्डीनैंस के बारे में बी जे पी क़ाइद सुषमा स्वराज के मौक़िफ़ को तन्क़ीद का निशाना बनाया जिन्होंने सदर जम्हूरीया से दरख़ास्त की है कि वो आर्डीनैंस पर दस्तख़त ना करें।
मनीष तीवारी ने कहा कि दस्तूरी एतबार से क़ानूनसाज़ी का फ़ैसला अदालतें करती हैं, अपोज़िशन पार्टी नहीं। बाएं बाज़ू की पार्टीयों ने फ़ैसले की मुख़ालिफ़त करते हुए कहा कि यू पी ए हुकूमत बार बार आर्डीनैंस का रास्ता इख़तियार कर रही है जो ग़ैर जम्हूरी है। बी जे पी के जनरल सेक्रेटरी राजीव प्रताप रूओडी ने कहा कि बी जे पी को इस आर्डीनैंस से सदमा पहूँचा। हम जानना चाहते हैं कि ये अज़ीम नज़रिया किस का है, क्या ये वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह का है, या राहुल गांधी या सदर नशीन यू पी ए सोनीया गांधी का, जिस ने भी ये आर्डीनैंस तहरीर किया है, वो चाहता है कि दग़ाबाज़, धोकेबाज़ और क़ातिल अरकान-ए-पार्लियामेट और अरकाने असेम्बली बन जाएं, आर्डीनैंस चाहता है कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के हुक्म की नफ़ी की जाये और बी जे पी ने इस इक़दाम की मुख़ालिफ़त की है।
रूडी ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की सताइश करते हुए कहा कि ये एक तारीख़ी फ़ैसला है कि कोई क़ातिल या धमकीयां दे कर रक़ूमात हासिल करने वाला, रिश्वतखोर और धोतके बाज़ रुकन पार्लियालीमेंट या रुकने असेम्बली बरक़रार नहीं रह सकता। अगर अदालत ने उसे ख़ाती क़रार देते हुए दो साल से ज़्यादा की सज़ाए क़ैद सुनाई हो। एक दिन क़बल क़ाइद अपोज़िशन लोक सभा सुषमा स्वराज ने इस आर्डीनैंस को ग़ैर दस्तूरी क़रार देते हुए सदर जम्हूरीया से इस पर दस्तख़त ना करने की अपील की थी। रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करते हुए मनीष तीवारी ने टोइटर पर सुषमा स्वराज को मुख़ातब करते हुए कहा कि आर्डीनैंस दस्तूरी है या नहीं, किसी भी क़ानूनसाज़ी की जांच दस्तूरी अदालतें करती हैं, उसकी जांच बी जे पी के इजलास में नहीं की जा सकती।
सी पी आई ऐम के पोलीट ब्यूरो ने कहा कि किसी मुंख़बा रुकन को मुजरिम क़रार देने पर उसकी ना अहलीयत का मसला पार्लियामेंट में मौज़ू बेहस बनाया जाना चाहीए था और इस के बाद मुनासिब इक़दामात किए जाने चाहीए थे। सी पी आई की मर्कज़ी मोतमिद ने भी इस आर्डीनैंस की मुख़ालिफ़त करते हुए कहा कि हुकूमत को मुजरिम क़रार दिए हुए अरकान मुक़न्निना को तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम करने में इतनी उजलत का मुज़ाहरा नहीं करना चाहीए था। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक़ जिन अरकान मुक़न्निना को ओहदे पर बरक़रार रहने का नाअहल क़रार दिया गया है , उनको तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम करना कोई अच्छी मिसाल नहीं है।