फलस्तीनी आफीसरो का कहना है कि मंगल को फलस्तीनी नेता यासिर अराफात की नाश को कब्र से निकाली जाएगी । दहाईं तक फलस्तीनियों की कीयादत करने वाले यासिर अराफात की पेरिस में 2004 में मौत हो गई थी। इसके कुछ ही महीनों बाद ये तनाज़ा छिड़ गया था कि क्या अराफात की मौत जहर देने से हुई?
अराफात के खानदान वालों ने उनकी मौत पर सवाल उठाए थे और उनकी कत्ल किए जाने का इल्ज़ाम लगाया था।
अराफात ने 35 साल तक पैलेस्टीनियन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) की कियादत कीए थें और साल 1996 में फलस्तीनी अथारिटी के पहले सदर भी बने थे।
अब उनकी नाश को कब्र से निकाल कर ये जाँच की जाएगी कि क्या उन्हें जहर दिया गया। मेडिकल रिकॉर्ड्स के मुताबिक फ्रांस में यासिर अराफात को स्ट्रोक हुआ था।
लेकिन जब एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के दौरान स्विट्जरलैंड के माहिरो ने उनकी चीजों पर रेडियोधर्मी पोलोनियम-210 पाया तो अगस्त में फ्रांस ने उनकी मौत के बारे में कत्ल की जाँच शुरु कर दी।
फलस्तीनी खुफिया एजेंसी के साबिक चीफ तौफीक तिरावी ने मीडिया को बताया कि जब एक बार लाश को कब्र से निकाल लिया जाता है तो फ्रांस, स्विट्जरलैंड और रूस के साइंसदा नमूने लेंगे और हर टीम अपनी आजाद तफतीश और तजज़िया करेगी।
इसके बाद नाश को पूरे फौजी एज़ाज़ के साथ दोबारा दफन कर दिया जाएगा।
अराफात की बेवा सुहा ने अराफात की लाश को दफनाने के बाद पोस्टमॉर्टम होने पर पहले एतराज़ जताई थी लेकिन बाद में खुद ही फलस्तीनी इंतेजामिया से नाश को कब्र से निकालने की दरखास्त भी किए थे ताकि सच सामने आ सके।
हालांकि कई फलस्लीनियों का मानना है कि अराफात को इसराइल ने जहर देकर मारा था, क्योंकि वो अमन के रास्ते में रुकावट बन गए थे। इसराइल ने इस मामले में किसी तरह का हाथ होने से इनकार किया है।