नई दिल्ली 10 मई:सुप्रीमकोर्ट ने ग़ैरमामूली फ़ैसला सुनाते हुए रियासती हुकूमतों और अक़लियती इदारों की ये दरख़ास्त मुस्तर्द कर दी कि उन्हें एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस बराए तालीमी साल 2016-17 अलाहिदा एंट्रेंस इमतेहान मुनाक़िद करने की इजाज़त दी जाये। अदालत ने कहा कि इन कोर्सेस में दाख़िलों के लिए सिर्फ NEET ही काफ़ी होगा। अदालत ने 28 अप्रैल को जारी करदा हुकमनामे में तबदीली से इनकार के ज़रीये सारी उलझनों को दूर कर दिया है।
इस हुकमनामे के ज़रीये मर्कज़ और सीबीएसई को एमबीबीएस और बीडीएस में दाख़िलों के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) के ज़रीये वाहिद मुशतर्का एंट्रेंस टेस्ट मुनाक़िद करने की हिदायत दी गई थी।
सुप्रीमकोर्ट ने मर्कज़, सीबीएसई और मेडिकल कौंसिल आफ़ इंडिया की तरफ से पेश करदा शेडूल को मंज़ूर कर लिया जिसमें 01 मई को मुनाक़िदा ऑल इंडिया परी मेडिकल टेस्ट को NEET-I तसव्वुर किया जाएगा। जिन उम्मीदवारों ने ऑल इंडिया परी मेडिकल टेस्ट के लिए दरख़ास्त नहीं दी है उन्हें 24 जुलाई को NEET-II मैं शिरकत का मौक़ा फ़राहम किया जाएगा और इन दोनों टेस्ट के मुशतर्का नताइज 17 अगस्त को जारी किए जाऐंगे ताकि दाख़िले का अमल 30 सितंबर तक मुकम्मिल कर लिया जाये। NEET-I का 01 मई को इनइक़ाद अमल में आया जिसमें तक़रीबन 6.5 लाख स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। सुप्रीमकोर्ट ने रियासती हुकूमतों,ख़ानगी मेडिकल कॉलेजस और अक़लियती इदारों जैसे क्रिस्चन मेडिकल कॉलेज वेल्लौर और लुधियाना का ये इस्तिदलाल मुस्तर्द कर दिया कि उन्हें अलाहिदा एंट्रेंस टेस्ट मुनाक़िद करने का क़ानूनी इख़तियार हासिल है।
अदालत ने ये वाज़िह किया है के जिन स्टूडेंट्स ने NEET-I के लिए दरख़ास्त दी थी लेकिन इस में शरीक ना हो सके या इमतेहान में शरीक हुए लेकिन ये सोच कर उन्होंने पूरी तैयारी नहीं की के ये टेस्ट कुल हिंद सतह पर नशिस्तों के सिर्फ 15 फ़ीसद के लिए हो रहा है, उन्हें एक मर्तबा शिरकत का मौक़ा फ़राहम किया जाएगा। एसे तमाम उम्मीदवार NEET-II में हिस्सा ले सकते हैं और उन्हें NEET-I की उम्मीद-वारी से दस्तबरदार होना पड़ेगा।