अलैहदा तेलंगाना रियासत पर तबादला ख़्याल से गुरेज़

नई दिल्ली, २६ सितंबर (पी टी आई) कांग्रेस ने आज हुकूमत के नए मआशी इस्लाही इक़दामात ( आर्थिक स्थिती में सुधार के कार्य) की बिशमोल ( जिसमें) कसीर ब्रांड रीटेल शोबा में रास्त गैर मुल्की सरमाया कारी ( विदेशी निवेशको) की इजाज़त की भरपूर ताईद ( समर्थन) की जबकि सदर पार्टी सोनिया गांधी ने हुकूमत को किसी ख़तरा के इक़दामात को मुस्तर्द ( रद्द) कर दिया।

ये तौसीक़ ( पुष्टी) कांग्रेस की वर्किंग कमेटी के पहले इजलास ( मीटिंग) में ही की गई जो तृणमूल कांग्रेस के यू पी ए से तर्क-ए-ताल्लुक़ (संबंध टूटने) के बाद मुनाक़िद ( आयोजित) किया गया है। सदर पार्टी ने कहा कि हुकूमत मुस्तहकम ( मजबूत) है। साथ ही साथ मुतालिबा किया गया कि मजलिस-ए-आमला के इजलास को अवाम में फैली हुई गलतफहमियों को दूर करने के लिए फ़ौरी ( फौरन) इक़दामात ( कार्यनिष्पादन) करने चाहीए । मआशी इस्लाही इक़दामात के बारे में जिन की पहल हुकूमत ने एक ऐसे वक़्त की है जबकि आइन्दा दस माह में चंद रियासतों ( राज्यो) में इंतिख़ाबात ( चुनाव) मुक़र्रर हैं।

वज़ीर-ए-आज़म ( प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह ने पार्टी के आला तरीन इदारा को तयक्कुन ( यकीन )दिया कि जो इक़दामात ( काम) किए जा रहे हैनान से गरीब अवाम की महरूमी बरक़रार नहीं रहेगी बल्कि कांग्रेस की सियासत बराए तरक़्क़ी-ओ-आम आदमी की फ़लाह-ओ-बहबूद से हम आहंग इस्लाही इक़दामात किए गए हैं।

कांग्रेस की मजलिस-ए-आमला का इजलास सोनिया गांधी के इफ़्तिताही ख़िताब से हुआ जिस में हुकूमत की और इस के मआशी इस्लाही इक़दामात की भरपूर ताईद ( हिमायत/ समर्थन) की गई जो मर्कज़ी वज़ीर फायनेन्स पी चिदम़्बरम ने शुरू किए हैं। ये भी वाज़िह (स्पष्ट) कर दिया गया कि अगर मुल़्क की मआशी ( माली/ आर्थिक) हालत मुस्तहकम ( अच्छी/ मजबूत) है तो इस की वजह ये है कि हुकूमत ने अपने मुमताज़ प्रोग्राम गरीब अवाम के लिए जारी रखे हैं।

वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि मोअस्सर इक़दामात ( कुछ कार्यनिष्पादन) गरीबों की फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए उस वक़्त तक नहीं किए जा सकते जब तक कि मईशत (जीवनधार) मज़बूत ना हो। इन इक़दामात के पसेपर्दा माक़ूलीयत पसंदी की वज़ाहत करते हुए मर्कज़ी वज़ीर फायनेन्स पी चिदम़्बरम ने कहा कि हुकूमत चाहती है कि मुल्क को आलमी मआशी बोहरान ( विश्व स्तर पर आर्थिक संकट/ मूसीबत) से मुतास्सिर ( प्रभावित) नहीं होना चाहीए।

सोनिया गांधी ने अपने तब्सिरा में कहा कि मईशत में इस्लाहात बहुत ज़रूरी हैं और हुकूमत ने इन इक़दामात का इसी सिम्त में आग़ाज़ ( शुरु) कर दिया है। सदर कांग्रेस ने बी जे पी पर तन्क़ीद (समीक्षा) करते हुए कहा कि वो मनफ़ी सियासत कर रही है। अहम अपोज़ीशन पार्टी को ज़िम्मा दाराना अपोज़ीशन का किरदार अदा करना चाहीए।

जैसा कि कांग्रेस ने किया था जबकि वो इक़तिदार ( शासन) में नहीं थी। कांग्रेस के ज़राए ने कहा कि इस बात का इमकान ( संभावना) है कि पार्टी दिल्ली में मआशी इस्लाही इक़दामात की ताईद ( समर्थन) में एक जलूस और जलसा मुनज़्ज़म ( संगठित) करेगी। चीफ मिनिस्टर दिल्ली शीला दिक्षित को खासतौर पर इजलास में मदऊ ( आमंत्रित) किया गया था ताकि ज़िलई सतह पर जलसों और जुलूसों का एहतिमाम किया जा सके।

जनरल सेक्रेटरी कांग्रेस जनार्धन द्विवेदी ने इजलास ( सभा/ Meeting) के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हुकूमत के इक़दामात जैसे डीज़ल की कीमतों में इज़ाफे़ और रास्त गैर मुल्की सरमायाकारी (विदेशी निवेशको) के ख़िलाफ़ इजलास में कोई इज़हार-ए-नाराज़गी नहीं किया गया।

तेलंगाना मसला ( के समस्याओं) के बारे में सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि तेलंगाना मसला पर कोई तबादला ख़्याल नहीं हुआ। कयास आराईयां जारी थी कि कांग्रेस पार्टी मजलिस-ए-आमला के इजलास में तेलंगाना को अलैहदा रियासत ( राज्य) का दर्जा देने के बारे में ठोस फैसला करेगी।

ज़राए ने कहा कि पार्टी के सीनीयर रुकन ( सदस्य) का एहसास था कि मुम्किन हो तो पकवान गैस सिलेंडर्स की रियायती कीमत पर सरबराही ( व्यवस्था) की तादाद में घरेलू सारफ़ीन ( उपभोक़्ताओं) की हद तक इज़ाफ़ा कर दिया जाय। कांग्रेस की मजलिस-ए-आमला का नुक़्ता-ए-नज़र ये था कि तमाम एहतियाती इक़दामात रास्त गैर मुल्की सरमाया कारी ( विदेशी निवेशको) के बारे में अवाम के अनदेशों का अज़ाला करने के लिए किए जाएंगे।

मर्कज़ी वज़ीर फायनेन्स पी चिदम़्बरम ने मजलिस-ए-आमला के इजलास की तफ़सीलात का इन्किशाफ़ (ज़ाहिर) करते हुए कहा कि रास्त गैर मुल्की सरमाया कारी ( विदेशी निवेशको) के बारे में अवाम के अनदेशों को दूर करने के इक़दामात किए जाएंगे। मजलिस-ए-आमला का नुक़्ता-ए-नज़र ये था कि एहतियाती इक़दामात एफ डी आई के बारे में अवामी अनदेशों का अज़ाला किया जाना चाहीए।

मजलिस-ए-आमला के कई अरकान ( मेम्बर्स) ने ख़्याल ज़ाहिर किया कि अपोज़ीशन की हुकूमत मुख़ालिफ़ मुहिम ( विरोध अभियान) के जवाब में कांग्रेस की जानिब से जवाबी मुहिम ( अभियान) चलाई जानी चाहीए । चुनांचे फैसला किया गया है कि एक हफ़्ता तवील ( लंबी) मुहिम ( अभियान) चलाई जाएगी जिस में मर्कज़ी वुज़रा ( केंद्रीय मंत्री) और मुख़्तलिफ़ रियासतों ( कुछ राज्यों) में सीनीयर कांग्रेसी क़ाइदीन ( नेता) इस में शिरकत करेंगे।

सदर कांग्रेस ने फ़िर्कावाराना तशद्दुद ( संप्रादायिक दंगे) के चंद रियासतों में वाक़ियात और आसाम में नसली झड़पों के वाक़ियात पर अफ़सोस ज़ाहिर किया। मजलिस-ए-आमला ने ये नुक़्ता-ए-नज़र भी ज़ाहिर किया कि अपोज़ीशन के ज़ेर इक़तिदार ( शासित ) रियासतों में मर्कज़ी स्कीम को रियासतों की स्कीम ज़ाहिर करते हुए सयासी फ़ायदा हासिल किया जा रहा है।

कांग्रेसी क़ाइदीन ( लीडरों) में से एक क़ाइद ( लीडर) ने गुजरात का हवाला देते हुए कहा कि चीफ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी के पोस्टर्स मर्कज़ी हुकूमत की स्कीमों पर अमलदर आमद के सिलसिला में रियासत में चस्पाँ किए ( चिपकाए) गए हैं और उन का सेहरा मोदी के सर बांधा गया है।