हैदराबाद । मौलाना ग़ोसवी शाह ने अपने एक बयान में कहा कि कुरान कि आयत وماخلقت الجن والانس الا لےعبدون] की तफ़सीर हज़रत इबन अबास ने रीवायत की है (तर्जुमा) अल्लाह ने इंसान और जिन को अपनी इबादत यानी पहचान के लिए पैदा किया है
और हदीस सहीह बुख़ारी में अल्लाह के नबी स.व. कहते हैं: तुम अल्लाह की एसी इबादत करो कि गोया तुम अल्लाह को देख रहे हो की रोशनी में हुस्न इबादत
तो ये है कि आबिद को इबादत में अल्लाह का दीदार होता रहे या वो अपने आप को निगाह-ए-माबूद में पाता रहे
मैं ख़ुश हूँ कि तु उन की निगाह में अल्लाह की पहचान के बगैर इबादत में लज़्ज़त ही नहीं सवाब ज़रूर मिल जाएगा लेकिन मज़ा नहीं आएगा लिहाज़ा अल्लाह् कि पहचान के लिए इरशाद ख़ुदावंदी :ان تعبدو اللہ کانک تراہ ےعنی] के तहत किसी बाख़बर अल्लाह वाले से पहचान हासिल करना ज़रूरी है।
अल्लाह के नबी स.व. ने फ़रमाया कि : افضل العبادۃ العلم باللہ] अफ़ज़ल इबादत अल्लाह की पहचान का इलम है क्योंकि बगैर पहचान हक़ के इबादत में मज़ा ही नहीं।