एक तरफा तीन तलाक पर पाबंदी के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही जाकिया सोमन इन दिनों चर्चा में है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की फाउंडर जाकिया को मुस्लिम समाज के एक तबके का विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन काफी अरसे से ट्रिपल तलाक की प्रथा के लिए संघर्ष कर रहा है। पिछले साल जाकिया के इस संगठन ने ट्रिपल तलाक पर 10 राज्यों की लगभग पांच हजार महिलाओं मे सर्वे कराया था जिसमें 92 फीसदी महिलाओं ने इसपर बैन लगाने की सहमति जताई थी।
हाल ही में जाकिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक इंटरव्यू प्रकाशित किया। पेश है जाकिया मुस्लिम समाज में महिलाओं की हालात पर जाकिया की बातचीत का चुंनिदा अंश.
ट्रिपल तलाक की पांबदी पर जाकिया कहती है कि हमने औरतों के लिए शरिया अदालत की शुरुआत की क्योंकि हमें लगता था कि पुरुष प्रधान शरिया कोर्ट में महिलाओं की सुनवाई नहीं हो रही है। जाकिया कहती है अल्लाह ने औरत और मर्द में कोई भेदभाव नहीं किया है। कुरआन में ऐसी कई आयतें है जिसमें अल्लाह मर्द और औरत को एकसाथ संबोधित करता है। हमारा संघर्ष समाज में यह सच स्थापित करने का भी है कुरआन और इस्लामिक कानून पुरुष प्रधान नहीं है।
उन्होंने बताया हमारे संगठन ने निकाहनामा का फॉर्मेट तैयार किया जिसमें महिलाओं को ज्यादती से बचाया जा सके।
जाकिया की मांग है कि सरकार तीन तलाक पर गैरकानूनी माने और तलाक की प्रकिया ऐसी बनायी जाये जिसमें दोनो पक्षो की राय ली जाये और 90 दिन का वक्त दिया जाए।
मुस्लिमों का मुकाबला करने के लिए हिदूं महिलाओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने पर जाकिया कहती है ये हकीकत से ज्यादा मिथक है। आकड़ो की बात करे तो आम मुस्लिम परिवार और हिंदू परिवार में बच्चों की संख्या 0.1 फीसदी का ही फर्क है। हमारा संगठन महिलाओं को समझाता है कि एक या दो से ज्यादा बच्चे पैदा ना करें। जाकिया का मानना है जब तक महिलाएं दिल और दिमाग से खुद के लिए नहीं खड़ी होगी, खुद को आजाद नहीं महसूस नहीं करेंगी तबतक कोई दूसरा उसकी मदद नहीं कर सकता।