अल्लाह पर तवक्कुल

नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का इरशाद है कि जो शख्स अपने फाका और एहतियात को अल्लाह तआला के सामने पेश करता है, अल्लाह तआला बहुत जल्द उसके फुक्र को जल्दी की मौत से या जल्दी के गना से दूर फरमाते हैं। जल्दी की मौत के दो मतलब है। एक यह कि उसका वक्त अगर खुद करीब आ गया तो उसको फाकों की तकलीफ में मुसीबत उठाने से पहले अल्लाह तआला ही मौत अता फरमा देंगे। दूसरा मतलब यह है कि किसी की मौत उसके गना का सबब बन जाएगी। मसलन किसी की मीरास का बड़ा हिस्सा मिल जाएगा या कोई शख्स मरते वक्त इसकी वसीयत कर जाए कि मेरे माल में से इतना फलां शख्स को दे देना।

कुर्द एक कबीला का नाम है। उसमें एक शख्स मशहूर डाकू था। वह अपना किस्सा बयान करता है कि मैं अपने साथियों की एक जमाअत के साथ डाका के लिए जा रहा था। रास्ते में हम एक जगह बैठे थे। वहां हमने देखा कि खजूर के तीन दरख्त हैं। दो पर खूब फल आ रहा है और एक बिल्कुल खुश्क है और एक चिडि़या बार-बार आती है और फलदार दरख्तों पर से तरोताजा खजूर अपनी चोंच में लेकर उस खुश्क दरख्त पर जाती है। हमें यह देखकर ताज्जुब हुआ।

मैंने दस बार उस चिडि़या को खजूर ले जाते देखा तो मुझे यह ख्याल हुआ कि उस पर चढ़ कर देखूं कि यह चिडि़या उस खजूर का क्या करती है। मैंने उस दरख्त की चोटी पर जाकर देखा कि वहां एक अंधा सांप मुह खोले पड़ा है और यह चिडि़या तरोताजा खजूर उसके मुंह में डाल देती है।

मुझे यह देखकर इबरत हुई और मैं रोने लगा। मैंने कहा कि मेरे मौला! यह सांप जिसको मारने का हुक्म तेरे नबी ने दिया और जब यह अंधा हो गया तो तूने उसको रोजी पहुंचाने के लिए चिडि़या को मुकर्रर कर दिया और मैं तेरा बंदा, तेरी तौहीद का इकरार करने वाला, तूने मुझे लोगों के लूटने पर लगा दिया।

इस कहने पर मेरे दिल में यह डाला गया कि मेरा दरवाजा तौबा के लिए खुला हुआ है। मैंने उसी वक्त अपनी तलवार तोड़ डाली जो लोगों को लूटने में काम देती थी और अपने सर पर खाक डालता हुआ दरगुजर-दरगुजर चिल्लाने लगा। मुझे गैब से आवाज आई कि हमने दरगुजर कर दिया। मैं अपने साथियों के पास आया। वह कहने लगे कि तुझे क्या हो गया। मैंने कहा मैं महजूर था अब मैंने सुलह कर ली। यह कहकर मैंने सारा किस्सा उनको सुनाया। वह कहने लगे कि हम भी सुलह करते हैं। यह कहकर सबने अपनी-अपनी तलवारें तोड़ डालीं और लूट का सारा सामान छोड़कर हम एहराम बांध कर मक्का के इरादे से चल दिए।

तीन दिन चल कर एक गांव में पहुंचे तो एक अंधी बुढ़िया मिली। उसने हमसे मेरा नाम लेकर पूछा कि तुम में इस नाम का कोई कुर्द आदमी है। लोगों ने कहा है। उसने कुछ कपड़े निकाले और यह कहा कि तीन दिन हुए मेरा लड़का मर गया। उसने यह कपड़े छोड़े हैं। तीन दिन से रोजाना नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को ख्वाब में देख रहीं हूं। नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) फरमाते हैं कि उसके कपड़े फलां कुर्दी को दे दो। वह कुर्दी कहते हैं कि वह कपड़े मैंने ले लिए और हम सबने उनको पहना।

इस किस्से में दो चीजें काबिले जिक्र हैं। अंधे सांप की अल्लाह तआला की तरफ से रोजी का सामान और नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से कपड़ों का अतिया। जब अल्लाह तआला किसी की मदद करना चाहे तो उसके लिए असबाब पैदा करना क्या मुश्किल है।
सारे असबाबे गना और फुक्र के वही पैदा करता है और सच्ची तौबा की बरकत से नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की तरफ से कपड़ो का एजाज खुद एक काबिले फख्र चीज है और जल्दी की मौत से गना के हासिल होने की एक मिसाल है।

एक हदीस में हजरत इब्ने अब्बास (रजि0) नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का इरशाद नकल फरमाते हैं कि जो शख्स भूका हो या हाजतमंद हो और वह लोगों से अपनी हाजत को पोशीदा रखे तो अल्लाह तआला पर (बवजह उसके लुत्फ व करम के) यह हक है कि उसको एक साल की रोजी हलाल माल से अता फरमाए। एक और हदीस में है कि जो शख्स भूका हो या मोहताज हो और लोगों से उसको छिपाए और अल्लाह तआला से मांगे तो अल्लाह तआला एक साल के लिए हलाल रोजी का दरवाजा उस पर खोल देते हैं।

एक और हदीस में नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का इरशाद वारिद हुआ है कि जो शख्स अल्लाह तआला से गना तलब करता है अल्लाह तआला उसको गना अता फरमाते हैं और जो शख्स अल्लाह तआला से इफ्फत मांगता है अल्लाह उसको इफ्फत अता फरमाते हैं और ऊपर का हाथ (यानी अता करने वाला) बेहतर है नीचे के हाथ से (यानी मांगने वाले के हाथ से) और कोई शख्स ऐसा नहीं जो सवाल का दरवाजा खोले मगर अल्लाह तआला उस पर फुक्र का दरवाजा खोल देते हैं।

हजरत अली (रजि0) ने एक शख्स की आवाज सुनी जो अरफात के मैदान में लोगों से सवाल कर रहा था। उन्होंने दुर्रे से उसकी खबर ली कि ऐसे दिन में और ऐसी जगह अल्लाह के गैर से सवाल करता है।

एक और हदीस में है कि जो शख्स सवाल का दरवाजा खोलता है अल्लाह तआला उस पर दुनिया और आखिरत में फुक्र का दरवाजा खोल देते हैं और जो शख्स अल्लाह तआला की रजा के वास्ते अता का दरवाजा खोलता है अल्लाह तआला उस पर दुनिया और आखिरत की खैर का दरवाजा खोल देते हैं।

एक और हदीस में है कि जो शख्स सवाल का दरवाजा खोलता है अल्लाह तआला उस पर फुक्र का दरवाजा खोल देते हैं। कोई शख्स रस्सी लेकर लकडि़यां इकट्ठा करके अपनी कमर पर लादकर फरोख्त कर दे और उससे अपना गुजर चलाए यह उससे बेहतर है कि भींक मांगे चाहे वह भीक मिले या न मिले। एक और हदीस में है कि जो शख्स अता का दरवाजा खोलता है सदका से हो या सिलारहमी से, अल्लाह तआला उस पर कसरत फरमाते हैं यानी उसके माल में इजाफा होता है और जो शख्स माल की ज्यादती की नीयत से सवाल का दरवाजा खोलता है उसकी वजह से उसपर कमी बढ़ती जाती है यानी हाजते बढ़ती जाएंगी और आमदनी के नाकाफी होने में इजाफा होता रहेगा। ((मौलाना मोहम्मद जकरिया) )

————–बशुक्रिया: जदीद मरकज़