हैदराबाद 25 अगस्त: ये ख़बर इंतेहाई अफ़सोस के साथ पढ़ी जाएगी के हैदराबादी तहज़ीब-ओ-तमद्दुन की नुमाइंदा और वज़ादार शख़्सियत अल्हाज इबराहीम बिन अबदुल्लाह मसक़ती साबिक़ रुकन क़ानूनसाज़ कौंसिल ने दाई अजल को लब्बैक कहा।
सियासी , समाजी , फ़लाही और मिली सरगर्मीयों में पिछ्ले 50 बरस से ज़ाइद तक अहम रोल अदा करने वाली इस शख़्सियत को हज़ारों सोगवारों की मौजूदगी में उनके आबाई क़ब्रिस्तान में सपुर्द लहद किया गया। उनकी उम्र 85 बरस थी। पसमानदगान में 6 फ़र्ज़ंद और 4 दुख़तर शामिल हैं।
अल्हाज इबराहीम बिन अबदुल्लाह मसक़ती ने अवाम में एक बे-बाक क़ाइद और अवामी मसाइल पर किसी दबाओ और मस्लिहत के बग़ैर अटल मौक़िफ़ इख़तियार करने के लिए शौहरत रखते हैं।इबराहीम बिन अबदुल्लाह मसक़ती कुछ अरसे से अलील थे और डॉक्टर्स ने सेहत में बेहतरी के बाद उन्हें घर मुंतक़िल होने की इजाज़त देदी थी।
इबराहीम मसक़ती की इंतेक़ाल की इत्तेला मिलते ही उनके देरीना और क़रीबी दोस्त ज़ाहिद अली ख़ां एडीटर सियासत और महबूब आलम ख़ां सबसे पहले मरहूम के घर् कोटला आलीजाह पहुंच गए और पसमानदगान को पुर्सा दिया। इंतेक़ाल की इत्तेला जैसे ही आम हुई ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश करने वालों का हुजुम बन गया जिनमें सियासी , समाजी और मज़हबी क़ाइदीन के अलावा बला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत हज़ारों अफ़राद शामिल थे, जिन्हों ने घर् पहुंच कर आख़िरी दीदार किया।
सियासी क़ाइदीन ने चीफ़ मिनिस्टर आंध्र प्रदेश एन चंद्रबाबू नायडू सबसे पहले मसक़ती के घर पहुंचे और पार्टी के देरीना रफ़ीक़ की जुदाई पर अफ़सोस का इज़हार किया। चंद्रबाबू नायडू ने मरहूम के फ़र्रज़ंदान को पुर्सा देते हुए कहा कि वो इबराहीम मसक़ती जैसी शख़्सियत को कभी फ़रामोश नहीं करपाऐंगे।
मसक़ती ने उन्हें कई मवाक़े पर क़ीमती मश्वरों से नवाज़ा था। उनके इंतेक़ाल से तेलुगु देशम पार्टी एक सच्चे हमदरद और क़दआवर रहनुमा से महरूम हो चुकी है। जलूस जनाज़ा नमाज़-ए-अस्र से पहले मक्का मस्जिद पहुंचा जिसमें सैंकड़ों अफ़राद शरीक थे। कोटला आलीजाह और जलूस के रास्तों पर ताजिरों में बतौर एहतेराम दुक्कानात को बंद कर दिया था।
तारीख़ी मक्का मस्जिद में नमाज़-ए-अस्र की अदायगी के बाद नमाज़ जनाज़ा अदा की गई। मौलाना हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद अज़ीमुद्दीन सदर मुफ़्ती जामिआ निज़ामीया ने नमाज़ जनाज़ा की इमामत की और दुआ-ए-मग़्फ़िरत की।
नमाज़ जनाज़ा मैं हज़ारों की तादाद में मसक़ती के चाहने वाले शरीक थे जिनका ताल्लुक़ समाज के मुख़्तलिफ़ शोबों से था। बाद नमाज़ मग़रिब आबाई क़ब्रिस्तान वाक़्ये दरगाह अल्लाह नुमा शाह डी आर डी एल कंचनबाग़ में तदफ़ीन अमल में आई।