गुलबर्गा, १६ दिसम्बर: ( फ़याकस ) शकील अहमद सदर इंडियन यूनीयन मुस्लिम
लीग ज़िला गुलबर्गा ने मर्कज़ी वज़ीर-ए-ख़ारजा फ़रोग़ इंसानी वसाइल ई अहमद
के वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह से मुलाक़ात करने वाले मुस्लिम
अरकान-ए-पार्लीमैंट के वफ़द में शामिल ना होने पर सख़्त इज़हार तास्सुफ़
करते हुए कहा कि अपने आप को मुस्लिम लीग के क़ौमी सदर कहलाने वाले ई अहमद
MLKSC के रुकन पार्लीमैंट ने आज तक मुस्लिम मसाइल में कोई दिलचस्पी नहीं
दिखाई। शकील अहमद ने अपने एक ब्यान में कहा कि 12वीं पंचसाला मंसूबा में
मुस्लमानों की पसमांदगी दूर करने केलिए हमा जिहत इक़दामात को शामिल करने
के मुतालिबा पर ज़ोर देने 31 मुस्लिम अरकान-ए-पार्लीमैंट ने वज़ीर-ए-आज़म
डाक्टर मनमोहन सिंह से मुलाक़ात की। वज़ीर-ए-आज़म से मुलाक़ात करने वाले
अरकान-ए-पार्लीमैंट में कांग्रेस, जय डीयू, सी पी आई, सी पी ऐम, एन सी पी
के अराकीन पार्लीमैंट के इलावा आज़ाद अरकान-ए-पार्लीमैंट भी शामिल थी।
लेकिन मुस्लमानों की नुमाइंदगी का दावा करने वाले ई अहमद इस वफ़द में
शामिल नहीं हुई।इस से अंदाज़ा होता है कि उन्हें मिली मसाइल से कोई
दिलचस्पी नहीं है। साबिक़ में ऐसे कई मौके आए जिन में मुस्लमानों की
मूसिर नुमाइंदगी की ज़रूरत थी लेकिन ई अहमद मुस्लमानों की नुमाइंदगी केलिए
कहीं आगे नहीं आए और ना ही उन्हों ने पार्लीमैंट में कभी मुस्लमानों के
मसाइल को पेश किया। ई अहमद ने हमेशा कांग्रेस आई के एजैंट के तौर पर काम
किया है। उन्हें जे़ब नहीं देता कि वो मुस्लिम क़ाइद या मुस्लिम लीग के
क़ौमी सदर कहलाईं। हिंदूस्तान के मुस्लमान उन्हें हरगिज़ अपना क़ाइद
तस्लीम नहीं करते क्योंकि उन्हों ने हमेशा मुस्लमानों के साथ धोका किया
है।गुलबर्गा में भी कुछ लोग ई अहमद के नामलेवा हैं, इन ही के नक़श-ए-क़दम
पर चलते हुए कांग्रेस से दोस्ती बनाए हुए हैं। उन्हें मुस्लमानों की और
उन के मसाएल की कोई परवाह नहीं है।