एक मुवाफ़िक़ राम मंदिर ग्रुप ने बाबरी मस्जिद अहाते के अंदरून मज़हबी सरगर्मीयां अंजाम देना का दावे किया है, जिसे ताहम मुक़ामी इंतेज़ामीया की जानिब से यकसर मुस्तर्द कर दिया गया। श्री राम सेवा समीती के नुमाइंदों ने दावे किया कि मुक़ामी इंतेज़ामीया ने उन्हें इजाज़त दी जिस पर उन्होंने मुक़ाम पर रामलीला की जगह मज़हबी रसूम अंजाम देने के बाद एक कलश नसब कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि की महसला अराज़ी में कोई भी मज़हबी सरगर्मीयां अंजाम देने से मना कर रखा है। सिर्फ़ बड़े पुजारी अचार्य सतेन्द्र दास जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की जानिब से मुक़र्रर किया गया, वही इस मुतनाज़ा मुक़ाम पर हिंदू रसूम के मुताबिक़ रोज़ाना की पूजा के ज़वाबत की तकमील के मिजाज़ हैं।
मुक़ामी इंटेलिजन्स यूनिट के सी ओ ,के एन तीवारी ने मुतनाज़ा अहाता के अंदरून ऐसी कोई भी सरगर्मीयों की तरदीद की और कहा कि समीती ने कुछ प्रोग्राम मुनाक़िद किया और वह बाबरी मस्जिद के हिसार तक पहुंचे थे जहां उन्हें अहाता में दाख़िले से रोक दिया गया। तीवारी ने कहा कि इस पर उन लोगों ने मुतनाज़ा जगह से दूर वाक़्य एक मंदिर में कलश नसब कर दिया। बड़े पुजारी अचार्य दास ने भी कोई कलश गर्भ गरीहा में तंसीब के लिए वसूल होने की तरदीद की, जहां मुतनाज़ा मुक़ाम पर भगवान राम की मूर्तियां रखी जाती हैं।