मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में एक दुल्हन अज़दवाजी रस्मों ( Wedding ceremonies) के दौरान ही मां बन गई। बात बगैर दुल्हन के लौटने तक जा पहुंची लेकिन दूल्हे की जिद के आगे सभी को झुकना पड़ा और बाद में बारात हंसी-खुशी दुल्हन के साथ दहेज में नए मेहमान को लेकर विदा हुई।
डिंडौरी जिले के मानसिंह बारात लेकर बुध के रोज़ अजवार गांव पहुंचा। बारात पहुंचने पर अज़दवाजी रस्मों का दौर चल रहा था, तभी खबर आई कि दुल्हन को ज़चगी (Delivery) हुई है।
खबर आते ही दोनों फरीक सकते में आ गए। मान सिंह के खानदान वाले बगैर बारात के लौटने की तैयारी करने लगे। इस पर दुल्हन वालो ने उनसे काफी मन्नतें की, लेकिन वे राजी नहीं हुए।
दुल्हन के मां बनने से दूल्हा के घर के लोग लौटने की तैयारी में थे कि तभी दूल्हे मान सिंह ने ऐसा करने से मना कर दिया। मान सिंह का कहना था कि उसे इस बात की इत्तेला थी कि उसकी होने वाली बीवी हमल से है। दोनों का मिलना-जुलना शादी से एक साल पहले से चल रहा था।
दूल्हे की जिद के आगे बारातियों को झुकना पड़ा, लेकिन अज़दवाजी रस्म एक दिन के लिए रोक दी गई। और जुमेरात के रोज़ बाकी रस्म पूरी हुई और बारात जुमे के रोज़ खुशनुमा माहौल में दुल्हन और नौ मुलूद बच्चे के साथ अपने घर लौटी।
मान सिंह के चाचा छोटे लाल का कहना है कि दुल्हन के बच्चे को जन्म देने के बाद भी शादी इसलिए की, क्योंकि यह बात दोनों फरीक के इज्जत से जुड़ा हुआ था। लिहाजा वे शादी करने के बाद खुश हैं।
अमूमन काबायली तबके में शादी के तय होते ही लड़के और लड़की के मिलने-जुलने का दौर शुरू हो जाता है। इसे बुरा भी नहीं माना जाता, लेकिन यह पहला मौका है जब दुल्हन अज़दवाजी रस्मों के दौरान ही मां बन गई।
अज़दवाजी रस्मों के बीच दुल्हन के मां बनने की वजह से पैदा हुए तनाजे के दौरान दूल्हे मान सिंह की जिद ने एक लड़की की जिंदगी बर्बाद होने से बचा ली और इस कहानी का खुशगवार इख्तेताम हुआ |