अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में हिन्दुस्तान के मुस्तक़िल सफ़ीर अशोक मुख़र्जी का बयान
अफ़्ग़ानिस्तान की तालिबान के साथ मुफ़ाहमत की कोशिशों की ताईद करते हुए हिंदूस्तान ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा से कहा कि ऐसा प्रोग्राम बैन-उल-अक़वामी हुदूद का एहतेराम करते हुए किया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि मुल्क का दस्तूर शफ़्फ़ाफ़ होना चाहिए और एक कामयाब क़ौमी मुफ़ाहमती प्रोग्राम अफ़्ग़ान हुकूमत के ज़ेरे क़ियादत शफ़्फ़ाफ़ और अफ़्ग़ान अवाम की मिल्कियत होना चाहिए।
उसे अफ़्ग़ानिस्तान के दस्तूर और बैन-उल-अक़वामी हुदूद का एहतेराम करना चाहिए । इस के लिए तमाम मुताल्लिक़ा फ़रीक़ैन के दरमियान मुख़लिसाना तआवुन की ज़रूरत है। हिन्दुस्तान के मुस्तक़िल सफ़ीर बराए अक़वाम-ए-मुत्तहिदा अशोक मुख़र्जी ने अफ़्ग़ानिस्तान की सूरत-ए-हाल के मौज़ू पर अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की जनरल असेम्बली में मुबाहिसे में हिस्सा लेते हुए कहा कि हिन्दुस्तान हुकूमत अफ़्ग़ानिस्तान और अफ़्ग़ान अवाम के साथ इश्तिराक करते हुए फ़रोग़ और इस्तिहकाम की राह पर पेशरफ़त करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि साबिक़ तालिबान हुकूमत के साथ मुफ़ाहमत के ज़रिए हुकूमत अफ़्ग़ानिस्तान से उनकी यकजहती हासिल करना चाहिए । अशोक मुखर्जी ने दहशतगर्दी की लानत पर भी ईज़हार-ए-तशवीश किया जो अफ़्ग़ानिस्तान के अमन इस्तिहकाम केलिए मुसलसल ख़तरा बनी होगई है।
हालाँकि बैन-उल-अक़वामी और अफ़्ग़ानिस्तान की क़ौमी फ़ौज के अरकाने अमला दोनों ने हर मुम्किन कोशिश की है और क़ुर्बानियां दी हैं। दहशतगर्द और इंतेहापसंद ग्रुप्स हुनूज़ बाक़ी है। हालाँकि उन पर ज़बरदस्त फ़ौजी दबाव डाला गया है। उन की रसाई बैन-उल-अक़वामी दहशतगर्द और मुजरिम नेटवर्क़्स तक बरक़रार है।