हिंदुस्तान में ख़वातीन, लड़कियों और नाबालिग़ बच्चों के जिन्सी इस्तिहसाल, उन पर जिन्सी हमलों और इस्मत रेज़ि के वाक़ियात में मुसलसल इज़ाफ़ा होता जा रहा है।
हाल ही में शहर के एक पॉलीटेक्नीक कॉलिज की 20 साला तालिबा के अग़वा और फिर मुसलसल 17 माह तक उसके साथ ग़ैर इंसानी सुलूक का वाक़िया मंज़रे आम पर आने के साथ ही मुल्क में फिर एक बार ख़वातीन और तालिबात के तहफ़्फ़ुज़ पर सवालात उठने लगे हैं। अफ़सोस तो इस बात का है कि बेशतर वाक़ियात में बेहिस पुलिस और हुकूमती इदारों को ख़ाब-ए-ग़फ़लत से बेदार करने के लिए अवामी मुज़ाहरा ज़रूरी है वर्ना पुलिस ना सिर्फ़ ख़ामोशी इख़तियार करती है बल्कि मुल्ज़िमीन का साथ देने से भी गुरेज़ नहीं करती।
इस सिलसिले में टी आर आर पॉलीटेक्नीक की तालिबा का वो बयान वाज़िह सबूत है जिसमें इस मज़लूम लड़की ने बताया कि मीरपेट पुलिस के तीन कांस्टेबलों ने उसे कॉलिज केंटिन के दरिन्दा सिफ़त मालिक सत्यप्रकाश सिंह बिहारी के चंगुल से आज़ाद कराने की बजाय ना सिर्फ़ उस शैतान के जुर्म पर पर्दा डाला बल्कि लड़की के साथ जिन्सी दस्तदराज़ी भी की और उसके पोशीदा आज़ा को छूते हुए फ़हश रिमार्कस किसे।
अवाम का ख़्याल है कि अगर इन पुलिस अहलकारों की बेटियों और बीवियों के साथ भी कोई इस तरह की हरकतें करे तो क्या वो बर्दाश्त कर सकते हैं ?
मीरपेट पुलिस स्टेशन से वाबस्ता तीनों कांस्टेबलों के ख़िलाफ़ भी निर्भया एक्ट के तहत मुक़द्दमात दर्ज करवाए जाने चाहीए। इसतरह के पुलिस अहलकार ना सिर्फ़ इंसानियत पर बल्कि सिटी पुलिस के माथे पर एक धब्बा है और महिकमा पुलिस को इस तरह के धब्बों को हमेशा हमेशा के लिए मिटा देना चाहीए ताकि पुलिस के तईं अवाम बिलख़सूस ख़वातीन का एतिमाद बहाल हो सके।
गुज़िशता जुमा दिल्ली की फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने फ़िज़ियोथेरापी की 23 साला तालिबा ज्योति सिंह की इस्मत रेज़ि और क़त्ल के 4 मुल्ज़िमीन को सज़ाए मौत सुनाई। समझा जा रहा था कि इस वाक़िये से मुल्क में इस्मत रेज़ि के वाक़ियात में कमी आएगी लेकिन हैरत की बात ये है कि मुल्क के हर शहर में हर रोज़ कहीं ना कहीं इस्मत रेज़ि ख़वातीन तालिबात के साथ दस्त दराज़ी और कमसिन बच्चियों पर जिन्सी हमलों के मुतअद्दिद वाक़ियात पेश आर हे हैं। इस मामले में आंध्रा प्रदेश सारे मुल्क में दूसरे मुक़ाम पर है जब कि हैदराबाद में भी इस्मत रेज़ि के वाक़ियात में इज़ाफ़ा हुआ है।
आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ साल 2012 के दौरान हैदराबाद में इस्मत रेज़ि के 74 मुक़द्दमात दर्ज किए गए इस तरह हफ़्ते में 6 ख़वातीन और दिन में एक ख़ातून की इस्मत रेज़ि की गई लेकिन हक़ीक़त में देखा जाये तो ये तादाद पुलिस से रुजू हो कर शिकायात दर्ज करवाने वालों की है ऐसी बेशुमार ख़वातीन और तालिबात हैं जो मुआशरे में बदनामी के ख़ौफ़ से पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने से गुरेज़ करती हैं या पुलिस शिकायत करनेवाली ख़वातीन को अहमियत देने से गुरेज़ करती है।
वाज़िह रहे कि गुज़िशता साल इस्मत रेज़ि के जो 74 मुक़द्दमात दर्ज किए गए थे इन में कम अज़ कम 32 ऐसे केस थे जिन में मुतास्सिरा लड़कियों की उम्र दस बरस या इस से कम थीं इस से अंदाज़ा होता है कि शहर में ख़वातीन , बालिग़ , नाबालिग़ और छोटी लड़कियों की हिफ़ाज़त पर ख़ुसूसी तवज्जे देने की ज़रूरत है।
जहां तक कमसिन बच्चियों के जिन्सी इस्तिहसाल के वाक़ियात का सवाल है शहर में इस तरह के वाक़ियात की तादाद में बेतहाशा इज़ाफ़ा हुआ है। इस मामला में स्कूलों में बच्चियों पर जिन्सी हमलों के वाक़ियात में इज़ाफ़ा रिकार्ड किया गया है और ये रुजहान मुआशरे के लिए तशवीशनाक है। ऐसे में वालदैन को अपने बच्चियों और बच्चों पर ख़ुसूसी तवज्जा देना ज़रूरी है वर्ना कोई भी दरिन्दा या शैतान इन का जिन्सी इस्तिहसाल करसकता है।
गुज़शता साल शहर में कमसिन बच्चियों पर जिन्सी हमलों के 205 मुक़द्दमात दर्ज किए गए थे लेकिन इस मर्तबा सारी रियासत में इस तरह के 500 मुक़द्दमात का इंदिराज अमल में आया जिन में 121 हैदराबाद से ताल्लुक़ रखते हैं । दिल्ली , मुंबई , कोलकता और हैदराबाद का नाम बार बार सुनने में आ रहा है । साल 2012 में ख़वातीन के ख़िलाफ़ जराइम और उन के लिए इंतिहाई ग़ैर महफ़ूज़ रियासतों में मग़रिबी बंगाल , आंध्रा प्रदेश , उत्तरप्रदेश सर-ए-फ़हरिस्त रहें जहां ख़वातीन के ख़िलाफ़ जराइम की बिलतर्तीब 30942 , 28171 और 23569 वारदातें पेश आईं जब कि राजिस्थान में 21106, मध्य प्रदेश में 16823 दिल्ली में 706 , चन्दीगढ़ में 27 और पडो चरी में 13 वाक़ियात रिकार्ड किए गए जब कि 2012 में सारे मुल्क में इस्मत रेज़ि के सब से ज़्यादा वाक़ियात मध्य प्रदेश में पेश आए जिन की तादाद 3425 रही। दूसरे नंबर पर राजिस्थान रहा जहां 2049 ख़वातीन की इस्मत रेज़ि की गई। मग़रिबी बंगाल में 2046 , उत्तरप्रदेश में 1963 , आसाम में 1716 , दिल्ली में 706 , चन्दीगढ़ में 27 और पडोचरी में 13 ख़वातीन के साथ जिन्सी दरिंदगी की गई। कम उम्र बच्चियों के ज़नाबिलजबर के मुआमले में मध्य प्रदेश 1632 वाक़ियात के साथ सर-ए-फ़हरिस्त रहा। इस तरह के यू पी में 1040 , महाराष्ट्रा में 917 , आंध्रा प्रदेश में 613 , राजिस्थान 572 , दिल्ली 415 , चन्दीगढ़ 17 और एंड विमान-ओ-निकोबार में 10 वाक़ियात पेश आए।
चार दहों में इस्मत रेज़ि के वाक़ियात में 900 गुना इज़ाफ़ा
गुज़िशता 40 साल के दौरान हिंदुस्तान में दर्ज करवाए गए इस्मत रेज़ि के मुक़द्दमात की तादाद में 900 गुना इज़ाफ़ा हुआहै। नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो ने इस बात का इन्किशाफ़ किया है। रिपोर्ट में बताया गया कि 60 बरसों के दौरान क़त्ल के वाक़ियात में 250 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है । 2001 में इस्मत रेज़ि के 24206 और 2012 में उतनी ही तादाद में ख़वातीन की इस्मत रेज़ियां की गईं जो मर्कज़ी-ओ-रियास्ती हुकूमतों और क़ानून नाफ़िज़ करनेवाली एजेंसियों के साथ साथ अवाम के लिए भी लम्हा फ़िक्र है।