आई आई टीज़ मैं माइनारीटी कोटा, मिला जुला रद्द-ए-अमल

इंडियन इंस्टीटियूट आफ़ टैक्नालोजी (आई आई टी) के मुशतर्का इंटरेंस टेस्ट की एडमीशन कमेटी के इस ताज़ा फ़ैसला पर कि दीगर पसमांदा तबक़ात ओ बी सी की 27 फ़ीसद सीटस में अक़लियती तबक़ा के तलबा को 4.5 फ़ीसदत हफ़्फुज़ात दिए जाऐंगे। पसमांदा तबक़ात के ग्रुपस ने शदीद नाराज़गी का इज़हार किया है जबकि माहिरीन तालीम ने इस इक़दाम का ख़ौर मक़दम किया है।

बी सी ग्रुपस ने इस इक़दाम को दस्तूर की ख़िलाफ़ वरज़ी क़रार दिया है। आई आई टी एडमीशन कमेटी के फ़ैसला से अक़लियती तबक़ा के चार सौ तीस तलबा को सिटस हासिल होंगी जबकि आई आई टी में सीटस 10 हज़ार हैं। सदर बी सी वीलफ़ीर असोसी एष्ण आर करशनया ने कहा कि हम इस फ़ैसला की शिद्दत से मुख़ालिफ़त करेंगे। हम किस तरह अपनी सीटस से महरूम होसकते हैं।

हम पहले ही तालीम और नौकरीयों में अक़लीयतों को दिए गए तहफ़्फुज़ात के ख़िलाफ़ हाइकोर्ट में केस दायर कर चुके हैं और हम ने इस मुक़द्दमा में मर्कज़ी हुकूमत को फ़रीक़ बना दिया। हम इस मुआमला को भी इस में शामिल करेंगे और हमें जल्द हुक्म अलतवा हासिल होने की उम्मीद है। करशनया ने कहा कि अक़लीयतों के अपने ख़ुसूसी इदारे हैं वो वहां अपने तहफ़्फुज़ात फ़राहम कर सकते हैं।

इस दौरान माहिरीन क़ानून ने राय दी है कि आई आई टीज़ अपने मंसूबा पर अमल कर सकते हैं। आई आई टीज़ पार्लीमैंट में क़ानूनसाज़ी के ज़रीया क़ायम किए गए। आज़ाद इदारे में वो हकूमत-ए-हिन्द के दायरा कार के तहत आज़ादाना तौर पर फ़ैसला कर सकते हैं।