आखरी उम्मत की फजि़लत

हजरत अबू अमामा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, मेरे रब ने मुझ से वादा फरमाया है के, मेरी उम्मत की कसीर (जियादा) तादाद को किसी हिसाब व अज़ाब के बगैर जन्नत में दाखिल करे गा। (मिश्कात)