नई दिल्ली : साबिक वज़ीर ए आज़म अटल बिहारी वाजपेयी को आज जुमे के रोज़ भारत रत्न ने नवाज़ा जाएगा। यह तकरीब यहां कृष्ण मेनन मार्ग वाके उनके रिहायशगाह पर ही होगा , जिसमें सदर जम्हूरिया प्रणब मुखर्जी और पीएम नरेंद्र मोदी समेत दिगर सरकर्दा लोग हाज़िर रहेंगे।
ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को पैदा हुए वाजपेयी पहले जनसंघ फिर बीजेपी के बानी और स्दर रहे। दिलचस्प बात यह भी कि तीन मरतबा वज़ीर ए आज़म रहे वाजपेयी के दौर में मुल्क की इक्तेसादी तरक्की की दर तेज रही। वह मुल्क के ऐसे पहले वज़ीर ए आज़म बने, जिनका कांग्रेस से कभी नाता नहीं रहा। साथ ही वह कांग्रेस के अलावा किसी दूसरी पार्टी के ऐसे वज़ीर ए आज़म रहे, जिन्होंने पांच साल का दौर ए इक्तेदार पूरा किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गहराई से जुड़े होने के बावजूद वाजपेयी एक सेक्युलर और एतेदाल पसंद सियासतदां की शक्ल में पहचाने गए। उनकी मकबूलियत भी पार्टी की हुदूद से परे रही। करिश्माई लीडर, ज़ज़्बाती तरजुमान और तेज़ शायर के तौर पर मशहूर वाजपेयी को उस जरात पहल के लिए भी जाना जाता है, जिसमें वज़ीर ए आज़म के तौर पर उनकी 1999 की तारीखी लाहौर बस का सफर मुनाकिद हुई थी।
उस दौर में पाकिस्तान जाकर उन्होंने वहां के वज़ीर ए आज़म नवाज शरीफ के साथ लाहौर ऐलानिया खत पर दस्तखत किए। वाजपेयी और मशहूर तालीम याफ्ता और फ्रीडम फाइटर महामना मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने का ऐलान 24 दिसम्बर को किया गया थी। वाजपेयी और मालवीय दोनों की सालगिरह 25 दिसंबर है।
महामना को इंतेक़ाल के बाद इस इनाम से नवाज़ा जा रहा है। मालवीय के घर वालों को 30 मार्च को राष्ट्रपति भवन में यह इनाम दिया जाएगा। वाजपेयी और महामना इस इनाम से नवाजे जाने वाली 44वीं और 45वीं हस्ती हैं। 1998 से 2004 तक मुल्क के वज़ीर ए आज़म रहे वाजपेयी उम्र से जुड़ी बीमारियों की वजह से घर पर ही रहते हैं।
