नई दिल्ली: गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भारत को ‘सहिष्णुता का विश्वविद्यालय’ बताते हुए आज कहा कि देश में धार्मिक उत्पीड़न की इजाजत कभी नहीं दी जाएगी।
सिंह ने यहां इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल द्वारा आयोजित एक बैठक में कहा, ‘‘शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए सहिष्णुता आवश्यक है। भारत में सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं और भेदभाव के बगैर अपने धार्मिक नियमों का पालन करते हैं। यही कारण है कि भारत सहिष्णुता का विश्वविद्यालय है।’’ सिंह ने कहा कि ईसाई धर्म भारत में करीब 2000 साल पहले आया और केरल में सेंट थॉमस चर्च है, जो दुनिया के सबसे पुराने गिरिजाघरों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत सेंट थॉमस से लेकर मदर टेरेसा तक ईसाईयों के योगदान को नहीं भुला सकता, जिन्होंने हमारे समाज से बुराइयों को खत्म करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में गिरजाघरों पर हमले की घटनाएं हुईं, जो दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले हुई थी। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि चुनाव के पहले या बाद में धार्मिक उत्पीड़न की भारत में कभी भी इजाजत नहीं दी जाएगी।’’ उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत ने एक पंथनिरपेक्ष देश रहने का विकल्प चुना जबकि पाकिस्तान ने खुद को एक धर्म का देश घोषित किया। सिंह ने कहा, ‘‘1947 में भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ और इसके बावजूद इसने एक पंथनिरपेक्ष देश रहने का विकल्प चुना।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने धार्मिक आधार पर अपना गठन किया। यह देश आतंकवाद को अपनी राजकीय नीति के रूप में इस्तेमाल करता है।
उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ देशों ने आतंकवाद को राजकीय नीति बना लिया है। लोगों के बीच मतभेद हो सकता है जिन्हें वार्ता के जरिए दूर किया जा सकता है लेकिन बंदूक उठा कर नहीं ।
सिंह ने कहा कि एक आतंकवादी की कोई जाति, पंथ या धर्म नहीं होता।
उन्होंने कहा, ‘‘न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया में कई देश आतंकवाद से प्रभावित हैं। एक आतंकवादी तो आतंकवादी है जो किसी जाति, पंथ या धर्म से जुड़ा नहीं होता। हालांकि, कुछ लोग आतंकवाद को धर्म से जोड़ते हैं लेकिन यह गलत है।’’
(भाषा)