आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के बलिदान और अहम भूमिका को स्वीकार करना चाहिए- चीन

पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में तैनात अमेरिकी राजदूत डैविड हेल को अपने विदेश मंत्रालय में तलब किया है. अमेरिकी दूतावास ने भी सम्मन की पुष्टि की है. दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा, “इस मीटिंग के पहलुओं के बारे में हमारी कोई प्रतिक्रिया नहीं है.”

अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2018 के पहले ट्वीट में पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की. ट्वीट के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 25.5 करोड़ डॉलर की सालाना सहायता राशि भी रोक दी.

ट्रंप के मुताबिक अमेरिका ने बीते 15 साल में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की सहायता दी. अमेरिकी राष्ट्रपति का आरोप है कि पाकिस्तान ने इस सहायता के बदले में अमेरिका को सिर्फ गुमराह किया.

अफगानिस्तान समेत कई मुद्दों पर अमेरिका और भारत करीब आ रहे हैं. यह नजदीकी पाकिस्तान को असहज कर रही है. इस्लामाबाद को लगने लगा है कि अमेरिका भारत के सुर में सुर मिला रहा है.

ऐसी मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान को अपने सदाबहार दोस्त चीन का साथ मिला है. ट्रंप के ट्वीट के अगले ही दिन चीन ने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में पाकिस्तान की भूमिका को सराहा.

इस्लामाबाद की पीठ थपथपाते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, “पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ा योगदान दिया है और बलिदान भी. आतंकवाद जैसी वैश्विक चुनौती से निपटने में पाकिस्तान ने जबरदस्त भूमिका निभाई है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसे स्वीकार करना चाहिए.”

यह पहला मौका नहीं है जब चीन पाकिस्तान के समर्थन में आया है. दक्षिण एशिया की राजनीति अब पूरी तरह दो खेमों में बंट चुकी है. एक तरफ अमेरिका और भारत नजर आते हैं, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान और चीन. आतंकवाद, आर्थिक सहयोग और रणनैतिक साझेदारी जैसे मामलों में भी यह खेमे साफ तौर पर आमने सामने खड़े नजर आते हैं.