मुंबई, २८ नवंबर ( एजेंसी) साबिक़ कांग्रेस क़ाइद-ओ-ताजिर कंहैया लाल गिडवानी जो आदर्श स्कैम के कलीदी मुल्ज़िम भी थे का मंगल के रोज़ क़ल्ब पर हमला की वजह से इंतेक़ाल हो गया । ख़ानदानी ज़राए ने ये इत्तिला दी उन की उम्र 61 साल थी। उन्हें जुनूबी मुंबई के ब्रीच कनेडी हॉस्पिटल में सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत पर शरीक करवाया गया था।
दो दिन हास्पिटल में रहने के बाद मंगल की सुबह उनकी मौत हो गई । मुंबई के पाश इलाक़ा क़ुलाबा में आदर्श हाउसमुंबई, २८ नवंबर ( एजेंसी) साबिक़ कांग्रेस क़ाइद-ओ-ताजिर कंहैया लाल गिडवानी जो आदर्श स्कैम के कलीदी मुल्ज़िम भी थे का मंगल के रोज़ क़ल्ब पर हमले की वजह से इंतेक़ाल हो गया । ख़ानदानी ज़राए ने ये इत्तिला दी उन की उम्र 61 साल थी। उन्हें जुनूबी मुंबई के ब्रीच कनेडी हॉस्पिटल में सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत पर शरीक करवाया गया था।
दो दिन हास्पिटल में रहने के बाद मंगल की सुबह उनकी मौत हो गई । मुंबई के पाश इलाक़ा क़ुल्लाबा में आदर्श हाउस स्क़ाम ने पूरे मुल्क में तहलका मचा दिया था जिसके बारे में ये कहा जाता रहा कि जंग में शहीद हो जाने वाले फ़ौजियों की बेवा और दीगर अरकान ख़ानदान को मज़कूरा बिल्डिंग में फ्लैट्स अलॉट किए जाएंगे| कुछ फ्लैट्स सिर्फ़ दिखावे के लिए ज़रूर अलॉट किए गए थे लेकिन ज़्यादा तर फ्लैट्स अक़्रिबा पर्वरी का शिकार हो गए ।
इलावा अज़ीं एफ़ एस आई की ख़िलाफ़वर्ज़ी करते हुए इमारत को 32 मंज़िला कर दिया गया । इस तमाम मुआमला में आँजहानी गिडवानी भी एक अहम मुल्ज़िम थे । दूसरों की क़ब्र पर अपना महल तामीर करने की ये एक मिसाल थी । गिडवानी को इन इल्ज़ामात का भी सामना था कि उन्होंने तहक़ीक़ाती एजेंसी सी बी आई के ओहदेदारों का मुँह बंद करने के लिए अपने मालीयाती कन्सलटेंट जे के जग्यासी को 1.25 करोड़ रुपए दिए थे ।
गिडवानी की गिरफ़्तारी के बाद शर्मिंदगी का शिकार हो जाने वाली कांग्रेस ने गिडवानी को पार्टी से ख़ारिज कर दिया था और ख़ुद भी लाताल्लुक़ी का इज़हार किया था । याद रहे कि कारगिल जंग के शहीदों के लिए बनाई गई इस इमारत पर भी फ़ौज के आला ओहदेदारान और सियासतदां दाँत लगाए बैठे रहे क्योंकि क़ुल्लाबा जैसे पाश इलाक़ा में मार्केट क़ीमत से कम पर फ़्लैट मिलना किसी नेअमत से कम नहीं था लिहाज़ा बहती गंगा में क्या फ़ौजी ओहदेदार और क्या सियासतदां सब ने हाथ धोए और बेचारे शहीदों के अरकान ख़ानदान मुँह देखते रह गए । ने पूरे मुल्क में तहलका मचा दिया था जिसके बारे में ये कहा जाता रहा कि जंग में शहीद हो जाने वाले फ़ौजीयों की बेवा और दीगर अरकान ख़ानदान को मज़कूरा बिल्डिंग में फ्लैट्स अलॉट किए जाएंगे कुछ फ्लैट्स सिर्फ़ दिखावे के लिए ज़रूर अलॉट किए गए थे लेकिन ज़्यादा तर फ्लैट्स अक़्रिबा पर्वरी का शिकार हो गए ।
इलावा अज़ीं एफ़ एस आई की ख़िलाफ़वर्ज़ी करते हुए इमारत को 32 मंज़िला कर दिया गया । इस तमाम मुआमला में आँजहानी गिडवानी भी एक अहम मुल्ज़िम थे । दूसरों की क़ब्र पर अपना महल तामीर करने की ये एक मिसाल थी । गिडवानी को इन इल्ज़ामात का भी सामना था कि उन्होंने तहक़ीक़ाती एजेंसी सी बी आई के ओहदेदारों का मुँह बंद करने के लिए अपने मालीयाती कन्सलटेंट जे के जग्यासी को 1.25 करोड़ रुपए दिए थे।
गिडवानी की गिरफ़्तारी के बाद शर्मिंदगी का शिकार हो जाने वाली कांग्रेस ने गिडवानी को पार्टी से ख़ारिज कर दिया था और ख़ुद भी लाताल्लुक़ी का इज़हार किया था । याद रहे कि कारगिल जंग के शहीदों के लिए बनाई गई इस इमारत पर भी फ़ौज के आला ओहदेदारान और सियासतदां दाँत लगाए बैठे रहे क्योंकि क़ुल्लाबा जैसे पाश इलाक़ा में मार्केट क़ीमत से कम पर फ़्लैट मिलना किसी नेअमत से कम नहीं था लिहाज़ा बहती गंगा में क्या फ़ौजी ओहदेदार और क्या सियासतदां सब ने हाथ धोए और बेचारे शहीदों के अरकान ख़ानदान मुँह देखते रह गए ।