आदिवासी महिलाओं के यौन शोषण के बदले में जवानों को मारा

छत्तीसगढ़ के सुकमा हमले में 25 जवानों की मौत के बाद माओवादियों ने एक बयान जारी किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दंडकारण्य ज़ोनल स्पेशल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ की टीम पर हमला आदिवासी महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण का बदला था।

 

 

 
जारी ऑडियो क्लिप में सोमवार को हुए हमले में मारे गए जवानों के शवों को विकृत करने से इंकार किया गया है तथा कहा गया है कि यह हमला सुरक्षा बलों और सरकार के लिए जवाब था। प्रवक्ता ने नक्सलवादियों की सैन्य शाखा को बधाई देते हुए कहा कि हमले को आदिवासी महिलाओं के खिलाफ सुरक्षा बलों द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिशोध के रूप में देखा जाना चाहिए।

 

 

 

 

 

यह हमला उन आदिवासी महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए था जिनका सुरक्षा बल द्वारा यौन उत्पीड़न किया जा रहा है। सुरक्षा बलों ने आदिवासी महिलाओं की आपत्तिजनक तस्वीरें भी ली थी। बयान में विकल्प कहते हैं कि वे सड़क परियोजना का विरोध करते हैं।

 

 

 

 

उनका कहना है कि प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के लिए सड़क परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। यह सड़क से जंगलों से प्राकृतिक संसाधनों को लूटने और इसे आसानी से परिवहन करने में मदद करेगी। प्रवक्ता ने कहा कि यह कॉरपोरेट मीडिया है जो जवानों की शव के बारे में झूठी खबर फैला रहा है। हम जवानों के मृत शरीर का अपमान नहीं करते हैं। यह मीडिया है जो झूठी खबर प्रसारित करता है।

 

 

 

 
उन्होंने कहा कि इस हमले को दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के शोषण और उनकी संस्कृति और आर्थिक जीवनशैली पर हमले, हिंदुत्व, फासिस्ट, संघी और भाजपा के हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा जाना चाहिए। विकलप ने यह भी कहा कि जवान उनके दुश्मन नहीं हैं हालांकि वे सरकार के जनविरोधी कार्यक्रमों का हिस्सा बनकर सार्वजनिक कल्याण के रास्ते में आ रहे हैं।

 

 

 

 

 

उन्होंने राजनेताओं, ठेकेदारों और कॉर्पोरेट माफिया से लड़ने को रोकने के लिए जवानों से अपील की। साथ ही कहा कि इस तरह के लोगों की रक्षा करके अपना जीवन न खोएं। अपनी सरकारी नौकरियों को छोड़ दें और लोगों के कल्याण की रक्षा के लिए संघर्ष करें।