नायब सदर जमहूरीया जनाब हामिद अंसारी ने साबिक़ हिंदूस्तानी सफ़ीर (diplomat) मुतय्यना अमेरीका आबिद हुसैन को भरपूर ख़िराज-ए-अक़ीदत (श्रद्धांजलि) पेश करते हुए कहा कि वो एक ऐसी मुनफ़रद ( बहुत अच्छी) शख़्सियत थी जिन्होंने अपनी ज़िंदगी ग़ैरमामूली अंदाज़ में गुज़ारी और हमेशा ख़ुद को मसरूफ़ ( व्यस्त) रखा।
इसके इलावा उन की फ़िक्र दानशोराना थें। जनाब हामिद अंसारी ने जनाब आबिद हुसैन के ताज़ियती जलसा (prayer meeting) से ख़िताब ( संबोधन) करते हुए कहा कि एक ऐसी शख़्सियत के बारे में इज़हार-ए-ख़्याल ( मुश्किल होता है जिस की सारी ज़िंदगी दूसरों के लिए एक मिसाल बन चुकी हो।
उन्होंने कहा कि आबिद हुसैन ने अपनी ज़िंदगी के हर पहलू का मुअस्सर अंदाज़ में सामना किया। वो मुख़्तलिफ़ शोबों से वाबस्ता रहे और हमेशा उन्होंने ख़ुद को ना सिर्फ मसरूफ़ रखा बल्कि जिस काम से भी वाबस्तगी इख़तियार की इससे पूरा पूरा इंसाफ़ किया।
वो इख़तिराई सलाहीयत की हामिल शख़्सियत थी और हमेशा दूसरों को एक पयाम दिया करते थे। उन्होंने ग़ैरमामूली सलाहीयत और इल्म के ज़रीया शख़्सियत साज़ी को बुलंद मुक़ाम अता किया। इन सब के साथ साथ वो मिलनसार और सादा लौह शख़्सियत थें।
जनाब आबिद हुसैन के अमेरीका में बहैसीयत हिंदूस्तानी सफ़ीर ख़िदमात का ज़िक्र करते हुए उन्होंने याद दिलाया कि इस वक़्त के सदर रोनालड रीगन ने जब उन से पाकिस्तान के साथ हिंदूस्तान को होने वाली मुश्किलात के बारे में वज़ाहत तलब की तो उन्होंने इनकार कर दिया और जवाब दिया कि दस्तयाब कम वक़्त में वो तिजारत और टेक्नोलोजी (trade and technology) के बारे में बात कर सकते हैं।
वाज़िह रहे कि हैदराबादी सपूत जनाब आबिद हुसैन का एक हफ़्ता क़बल लंदन में इंतेक़ाल हो गया और उन की मय्यत नई दिल्ली लाई गई थी। नमाज़ जनाज़ा-ओ-तदफ़ीन दिल्ली में ही अमल में आई। आज उन्हें ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश करने के मक़सद से दुआंए इजतिमा मुनाक़िद किया गया था ।