हैदराबाद 30 जुलाई:आमदनी अठन्नी, ख़र्चा रुपया इस ज़रब-उल-मसल कहावत से फ़िलहाल रियासत तेलंगाना को अमली सामना है जो माली बोहरान से गुज़र रही है।
उसकी बुनियादी वजह ये समझी जा रही हैके तेलंगाना की माहाना आमदनी 4,000 करोड़ रुपये और मसारिफ़ 8,000 करोड़ रुपये हैं। रियासती हुकूमत ने रवां साल के लिए 1.15 लाख रुपये का बजट पेश किया गया जिस में 98,000 करोड़ रुपये की आमदनी का तख़मीना किया गया है।
इस का मतलब ये हुआ कि इस में हुकूमत को 17,000 करोड़ रुपये का बढ़ते हुए मसारिफ़ और घटती हुई आमदनी और तरक़्क़ी पर जमूद से परेशान हुकूमत नए क़र्ज़ हासिल करने पर मजबूर होरही है। तवक़्क़ो की जा रही हैके तेलंगाना हुकूमत सितंबर तक 2,300 करोड़ रुपये के मार्किट क़र्ज़ हासिल करेगी।
तरक़्क़ी की शरह और आमदनी की सतह में जब तक इज़ाफ़ा नहीं होता, रियासत तेलंगाना को अपने पुराज़म तरक़्क़ीयाती प्रोग्रामों को फ़ंडज़ की फ़राहमी के लिए ज़्यादा तर क़र्ज़ पर ही इन्हिसार करना होगा चुनांचे तेलंगाना हुकूमत जुलाई के दौरान 1,300 करोड़ रुपये के मार्किट फ़ंडज़ हासिल की है।
अगस्त में ग़ालिबन 1,080 करोड़ रुपये और सितंबर में 1300 करोड़ रुपये के क़र्ज़ लिए जाऐंगे। ये क़र्ज़ 6.5 फ़ीसद सालाना शरह सूद पर हासिल किए जा रहे हैं।
रियासती हुकूमत का दावा हैके वो कम से कम शरह पर सूद हासिल कररही है। रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया तमाम रियासतों के लिए माहाना 50,000 करोड़ रुपये के कर्ज़ों की पेशकश की है जिस के मिनजुमला हुकूमत तेलंगाना 1,000 ता 13,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ हासिल करने की कोशिश कररही है लेकिन क़र्ज़ का भी बोझ इस लिए भी तशवीशनाक होसकता है कि हुकूमत को 300 करोड़ रुपये ता 400 करोड़ रुपये माहाना सिर्फ़ सूद के तौर पर अदा करना होगा।