मान्यताओं के अनुसार सबसे पवित्र महीने रमजान के दौरान रोजा के बाद अब देश भर में ईद की तैयारी है। खुशियों और अल्लाह को शुक्रिया कहने के इस त्योहार को लेकर बच्चों से लेकर हर उम्र के लोगों में उत्साह देखते ही बनता है। ईद इस्लामी कैलेंडर के शव्वाल महीने का पहला दिन होता है। हालांकि, पूरी दुनिया में इसे अलग-अलग दिनों पर मनाया जाता है।
ऐसा इसलिए कि ईद को मनाने की तारीख दरअसल चांद के दिखने पर निर्भर होती है। इस दिन मुस्लिम नये कपड़े पहन कर गरीबों को दान करते हैं और नमाज अता कर अल्लाह को याद करते हैं। ईद के इस मौके पर पढ़ी जाने वाली नमाज आम दिनों के नमाज से अलग होती है।
आम तौर पर इस दिन नमाज खुले आकाश में बड़ी संख्या में मौजूद लोगों के साथ पढ़ा जाता है। इसका मकसद ये है कि ज्यादा से ज्यादा लोग भेदभाव भूलाकर एक साथ खड़े हों और अल्लाह को शुक्रिया कहें। इसका मकसद ये भी होता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग एक-दूसरे से मिले और मुबारकबाद दें।
ईद की नमाज की क्या हैं खास बातें
ईद-उल-फितर की नमाज आम दिनों में पढ़े जाने वाले नमाज से अलग होती हैं। यह फज्र की नमाज के बाद सुबह पढ़ी जाती है। इस दिन अजान नहीं होती। आप सबने देखा होगा कि मुस्लिम अपने कानों तक हाथ ले जाते हैं और ‘अल्लाहो अकबर’ (अल्लाह महान हैं) कहते हुए अपने नमाज की शुरुआत करते हैं। इसे ‘तकबीर’ कहते हैं और इसे 12 बार किया जाता है।
इस दिन पहले ‘रकात’ में इमाम सात तकबीरों के साथ नमाज की शुरुआत करते हैं। दूसरे रकात में पांच तकबीर होती हैं। इसके बाद की नमाज के अगले हिस्से आम दिनों की तरह होते हैं। नमाज के बाद इमाम ‘खुत्बा’ देते हैं। इसके तहत वे अहम मुद्दों पर अपना संदेश लोगों के बीच देते हैं। इसके बाद ईद का जश्न शुरू होता है। लोग एक-दूसरे को गले मिलकर ‘ईद मुबारक’ और ‘तकाब्बल अल्लाहो मिना वा मिनकुम’ (अल्लाह हमें और आपको स्वीकार करें) कहते हैं।
ईद पर रिवाज और परंपरा
मुस्लिम इस दिन सुबह स्नान कर नये कपड़े पहनते हैं और फिर नमाज के लिए मस्जिद जाते हैं। आमतौर पर लोग ईद की नमाज से पहले कुछ मीठा खाकर जाते हैं। ईद की नमाज आमतौर पर किसी खुले स्थान, ईदगाह या फिर मस्जिद में पढ़ी जाती है। साथ ही मुस्लिमों को इस दिन के लिए सलाह दी जाती है कि वे नमाज पढ़ने और फिर लौटने के दौरान अलग-अलग रास्तों का प्रयोग करें। ऐसा इसलिए कि इस पाक मौके पर वे ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिल सकें। साथ ही इस दिन बच्चों को ईदी देने की भी परंपरा है।