वित्त मंत्री अरुण जेटली सोमवार को संसद में साल 2016-17 का आम बजट पेश कर रहे हैं. उद्योग जगत से लेकर आम जन तक हर किसी को मोदी सरकार के इस दूसरे बजट से अपेक्षाए हैं. लेकिन जेटली पहले ही कह चुके हैं कि यह लोकलुभावन बजट नहीं होगा. आइए जानते हैं बजट को लेकर क्या राय रखते हैं हमारे आर्थिक विशेषज्ञ अंशुमान तिवारी-
किसानों को बकाया कर्ज पर ब्याज के बोझ से बचाने के लिए 15000 करोड़ का आवंटन.
ग्रामीण विकास-ग्राम पंचायतों को प्रति पंचायत 80 लाख रुपये अनुदान, प्रधानों की चांदी.
वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बढ़ेगा यह अनुदान.
लंबित सिंचाई परियोजनाओं पर मिशन मोड में आगे बढ़ना वक्त की जरूरत.
नया सुधार फर्टिलाइजर डिस्ट्रीब्यूशन का आधुनिकीकरण, कंपोस्ट की बिक्री.
89 सिंचाई परियेाजनाएं फास्ट ट्रैक मोड में.
महत्वपूर्ण यूनीफाइड एग्रीमार्केट स्कीम के जरिए ई-मार्केट, जिससे मंडिया जुड़ेंगी.
पे कमीशन और ओआरओपी का बोझ आएगा. खर्च के ढांचे में बदलाव, खर्च में कटौती की संभावना.
गरीबों को सस्ता एलपीजी. सब्सिडी का बोझ बढ़ना तय.
महत्वपूर्ण आधार को मिलेगा कानूनी आधार ताकि सभी तरह की सेवाएं इससे जोड़ी जा सकें. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर.
शेयर बाजार-जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीकरण, बाजार हरे निशान में.
कृषि-सिंचाई के लिए नई बुनियादी ढांचा लंबित परियोजनाओं पर फोकस, 170000 करोड़ अगले साल 23 अगले साल तक पूरे होंगे.
ग्लोबल रिस्क बढ़ने का अंदेशा. फिस्कल डेफशिट को लेकर सख्ती की संभावना.