आरटीआइ के दायरे में आएं सियासी जमातें

पटना 7 जुलाई : रियासत के साबिक़ इलेक्शन कमीशन जियालाल आर्य ने तमाम सियासी जमातों को आवामी जज्बा का एहतराम करते हुए पार्टियों को आरटीआइ के दायरे में लाने की दरख्वास्त की है। उन्होंने कहा कि हुकूमत को मुल्क की अवाम की ख्वाहिस का तौहीन नहीं करना चाहिए। अवाम का आदम इत्मीनान जम्हूरियत के लिए मुहलिक साबित होगा।

मिस्टर आर्य सनीचर को आइआइबीएम एडोटोरिअयम में ‘इत्तेला का हक और सियासी पार्टी ’ पर सेमीनार से खेताब कर रहे थे। इसका एन्काद फ़ज़ीलत अफ्ज़ोदगी लोक फोरम ने किया। सेमीनार में जस्टिस राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इलेक्शन कमीशन और मुल्क की अदालत नहीं चाहती कि हुकुमत कोई ऐसा काम करे, जिससे अवाम की आजादी रुकावट हो या इन्तेखाबात में सियाह धन का इस्तेमाल हो। सरमाया की ताक़त पर एमपी और असेंबली रुक्न चुने जायें।

पटना यूनिवर्सिटी के प्रो नवल किशोर चौधरी ने हुकुअम्त और सियासी पार्टियों को इन्तेबाह देते हुए आरटीआइ की नज़र अंदाज़ कर हुकूमत और सियासी पार्टियां आग से खेल रही हैं। उनका यह अमल आईन का भी तौहीन है।मौके पर प्रो रामपाल अग्रवाल नूतन, जर्नलिस्ट चंद्रशेखरम्, डॉ एएन सिंह, अरुण दास, हरिश्चद्र सिन्हा, विकास आनंद वगैरह ने भी अपने ख्याल रखे।

सभा के सदर बलभद्र कल्याण ने कहा कि हुकूमत की पालिसी और नीयत ठीक नहीं है। वह सिर्फ्त अपनी कुरसी बचाने और हुकूमत में बने रहने की मंसूबा पर काम करती है। सियासी पार्टी भी अपने मुफाद की हिफाज़त में लगे हुए हैं। फोरम की सदारत डॉ शांति ओझा और शुक्रिया मेमो डॉ शिववंश पांडेय ने किया।