एक ऐसे वक़्त जबकि चंद रिश्वस्तानी मुहिम के जहदकार मुबय्यना रिश्वस्तानी के वाक़ियात को मंज़रे आम पर ला रहे हैं । एडीटर ऐंड कमपटरोलर जनरल ( सी ए जी ) ने आज कहा कि शहरी ग्रुप अब पहले से कहीं ज़्यादा सरगर्म-ओ-मुतहर्रिक होगए हैं । मिस्टर विनोद राय ने कहा कि अब अख़लाक़ीयात , एहतिसाब ,जवाबदेही ,शफ़्फ़ाफ़ियत-ओ-दियानतदारी पर ग़ैरमामूली ध्यान मर्कूज़ की जाने लगी है और ऐसी सूरत में हर कोई अपने अमल का ज़िम्मेदार होगा ।
शुमाल मशरिक़ी हिलज़ यूनीवर्सिटी के 20 वीं जलसा तक़सीम अस्नाद से ख़िताब करते हुए मिस्टर विनोद राय ने कहा कि शहरी ग्रुपस ने पहले से कहीं ज़्यादा सरगर्म-ओ-मुतहर्रिक होगए हैं जो पहले कभी ख़ामोश रहा करते थे ।चुनांचे ऐसा महसूस होने लगा है कि अब अवाम की अक्सरीयत को लाहक़ आलाम-ओ-मसाइब अज़ ख़ुद अपनी दास्तां बयान करने लगे हैं ।
बहरहाल एक ऐसा भी वक़्त आएगा जब हम सब अपनी करनी के ज़िम्मेदार टहराए जाएंगे । इस तरह एक मिसाली मुआशरा का वजूद अमल में आएगा । हकूमत-ए-हिन्द के आडीटर जनरल ने कहा कि हिंदूस्तान उस वक़्त तक मूसिर इंतिज़ामी सलाहीयतों केलिए दरकार मयारात पर पूरा नहीं उतर सकता जबकि तक आली ओहदों पर रिश्वत का मुकम्मल तर्ज़ पर ख़ातमा नहीं किया जाता ।अक़रबा-ए-पर्वरी और कालाबाज़ारी को जड़ से उखाड़ फेंका नहीं जाता ।
आज़ाद हिंद के पहले नायब सदर जमहूरीया आँजहानी ऐस राधा कृष्णन क़ौल दुहराते हुए मिस्टर विनोद राय ने कहा कि जब तक हममुलक की नेकनामी को दागदार बनाने की ज़िम्मेदार आली ओहदों पर रिश्वतखोरी को मुकम्मल तौर पर तहस नहसं नहीं करदेने ,अक़रबा-ए-पर्वरी ,पुलिस इक़तिदार ,मुनाफ़ा ख़ोरी और कालाबाज़ारी के ज़र्रा ज़र्रा को जड़ से उखाड़ नहीं फेंकते हम मूसिर इंतेज़ामी मयारात पर खरे नहीं उतर सकते और देही ज़रूरीयात-ए-ज़िंदगी की अशीया को मूसिर अंदाज़ में तैय्यार और तक़सीम नहीं करसकेंगे ।
इस जलसे में 8,035 तलबा को डिग्रियां दी गईं जिन में 9709 तलबा भी हैं जिन्हों ने मुख़्तलिफ़ मौज़ूआत पर डाक्टरेट की है । उन्होंने तलबा की हौसलाअफ़्ज़ाई करते हुए कहा कि उन्हें अपने कैरियर में बेहतरीन मवाक़े मयस्सर होंगे लेकिन इस के साथ ख़बरदार भी किया कि जब सलाहीयतों पर ताक़त-ओ-इक़तिदार ग़ालिब आजाता है तो ये बुरे दिनों के आग़ाज़ का पेशख़ैमा साबित होता है ।
मिस्टर राय ने ज़ोर दे कर कहा कि अख़लाक़ीयात पर मबनी इंतिज़ामीया और क़ियादत ही किसी इंतिज़ामी-ओ-तिजारती इदारा का संग-ए-बुनियाद होते हैं । चुनांचे कॉरपोरेट मनस्ट्रेशन या सरकारी इंतिज़ामीया में अख़लाक़ और दियानतदारी पर कोई समझौता नहीं किया जाना चाहीए ।