सदर जम्हूरिया परनब मुखर्जी ने आज एक इंतिहाई अहम बयान देते हुए कहा कि हुकूमत अगर आला तालीमी इदारों की तादाद में इज़ाफ़ा कररही है तो उसे ये भी सोचना चाहिए कि क्या तादाद में इज़ाफ़ा के ज़रिया तालीमी मेयार में भी इज़ाफ़ा होरहा है या नहीं?
डायरेक्टर्स आफ़ नेशनल इंस्टीटियूट आफ़ टेक्नोलोजी पर एक कान्फ़्रेंस का इफ़्तिताह(उदघाटन) करते हुए (जो किसी भी सदर जम्हूरिया की जानिब से पहली बार की गई) उन्होंने कहा कि हुकूमत आला तालीम के शोबा में ख़तीर रक़ूमात खर्च कर रही है लेकिन मिक़दार या तादाद को मेयार के साथ भी मुताबिक़त हासिल होनी चाहिए।
अगर तादाद ज़्यादा है और मेयार सिफ़र है तो इसका मक्सद ही फ़ौत होजाता है। लिहाज़ा मेयार को पेशे नज़र रखते हुए हमें अपने तालीमी इदारों को आलमी सतह के मेयार के मुताबिक़ तबदील करना चाहिए। सिर्फ़ यही जज़बा मेयार को बेहतर बनाने में मददगार साबित होगा।
ऐसा पहली बार हुआ है कि इस नौईयत की कान्फ़्रेंस से सदर जम्हूरिया ने वाबस्तगी इख्तियार की हालाँकि सदर जम्हूरिया तमाम नेशनल इंस्टीटियूट आफ़ टेक्नोलोजी के वज़ीटर हैं। राष्ट्रपति भवन से जारी एक बयान में ये बात कही गई। सदर जम्हूरिया ने सिर्फ़ दो रोज़ क़बल हिंदुस्तान के माये नाज़ साइंसी इदारा इसरो की जानिब से मिर्रीख़ मिशन की कामयाबी के लिए दुआ की और कहा कि इसरो के साइंसदानों ने जो मॉडल तैयार किया है, मुल्क के दीगर साइंसदानों को भी मुख़्तलिफ़ नौईयत के साइंसी मॉडल्स तैयार करते हुए मुख़्तलिफ़ साइंसी शोबों में अपना लोहा मनवाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कान्फ़्रेंस मिर्रीख़ मिशन में पेशरफ़त के सिर्फ़ दो रोज़ बाद की जा रही है, जिससे उसकी इफ़ादियत में मज़ीद इज़ाफ़ा होगया है। ये वही साइंसदाँ हैं जिन्हों ने तालीमी शोबों में मेयार को अपना अच्छी जगह बनाया और मिर्रीख़ मिशन के ख़ाब को शर्मिंदा ताबीर किया।