पापूलर फ्रंट के जेनरल सेक्रेटरी जनाब ओ एम इस्लाम ने अपने जारी करदा बयान में आसाम के कोकराझार और बक्सा में बोडो हमला वरों के हाथों बेगुनाह मुसलमानों के क़त्ल-ए-आम की मुज़म्मत की है। इस हमला के ज़रिया बोडो इंतिहापसंद ये पैग़ाम दे रहे हैं कि वो अपने मज़मूम मंसूबों की पूरा करने के लिए तशद्दुद में किसी भी हद तक जा सकते हैं।
आप ने सूबा में मुसलसल तशद्दुद के लिए सुबाई सरकार को भी ज़िम्मेदार ठहराया। हुकूमत हिंदुस्तान के सब से ख़तरनाक अलहिदगी पसंद लड़ाकों को गैर मुसल्लह करने के लिए कोई बाअसर क़दम नहीं उठा रही है जिन के पास ख़तरनाक हथियार हैं और वो बगैर किसी रुकावट के सरगर्म हैं। अपने बोडो हमला वरों और मीडिया के एक तबक़े के इस इल्ज़ाम पर तन्क़ीद की कि ज़ुज्म के शिकार तमाम लोग बंगलादेशी मुसलमान थे।
ये ग़लत इल्ज़ाम सिर्फ़ अवाम को गुमराह ही करेगा और क़त्ल के होने वाले इन मुसलसल वाक़ियात को हक़बजानिब भी ठहराएगा। ये क़ाबिल-ए-ज़िकर है कि 1997 और 2011 के दौरान असाम की फ़ौरन ट्रब्यूनल अदालतों ने मुल्ज़िम मुहाजिरों के 83471 मुआमलों का फैसला किया जिन में से 77874 मुआमलों में मुल्ज़िमीन को जायज़ हिंदुस्तानी शहरी क़रार दिया गया जो तकरीबन 93 फ़ीसद है।
सिर्फ़ 6 फ़ीसद लोग अपनी शहरियत का कोई सबूत नहीं पेश करसके क्यों कि उसे ही हमला कर के बोडो हमला आवरों ने उनके दस्तावेज़ात के साथ तमाम सामान तबाह करदिया था, सिर्फ़ उन्हीं लोगों को मुहाजिर बंगलादेशी क़रार दिया गया। पापूलर फ्रंट आफ़ इंडिया हकूमत-ए-हिन्द और रियासती हुकूमत से अपील करता है कि वो बंगलादेशी मुहाजिरों के मसला का क़ानूनी बुनियादों पर मुस्तक़िल हल तलाश करने के लिए फ़ौरी क़दम उठाए और मुल्क मुख़ालिफ़ अनासिर को गैर मुसल्लह करे और हिंदुस्तानी शहरियों की जान की हिफ़ाज़त के लिए मुनासिब हिफ़ाज़ती इंतिज़ाम करे।