जोधपुर:नाबालिग तालिबा के जिंसी इस्तेहसाल के इल्ज़ाम में डेढ साल से जोधपुर जेल में बंद आसाराम की जमानत पर बाहर आने का ख्वाब चकनाचूर हो गया है। जोधपुर जिला और सेशन कोर्ट (जोधपुर जिला) ने उनकी जमानत की दरखास्त खारिज कर दी है।
आसाराम की जमानत की दरखास्त पर पैरवी के लिए बीजेपी लीडर और सीनीयर वकील डॉ. सुब्रमण्यन स्वामी खुद जोधपुर आए थे लेकिन स्वामी भी आसाराम को जमानत दिला पाने में नाकाम रहे। जमानत की दरखास्त खारिज होने के बाद आसाराम के हामियों में मायूसी छा गई।
हफ्ते के रोज़ दोपहर जज मनोज कुमार व्यास ने कहा कि आसाराम को जमानत दिए जाने का कोई वजह नहीं है। जमानत के लिए जरूरी है कि आसाराम पहले खुद को बेगुनाह साबित करें।
उन्होंने कहा कि अभी तक सभी गवाहों के बयान भी पूरे नहीं हो पाए है। इसके बाद ही उन्हें जमानत दी जा सकती है। इस दौरान कोर्ट के अहाते के बाहर आज बडी तादाद में आसाराम के हामी बैठे थे। सुबह आसाराम को कोर्ट लाए जाने के दौरान हामियो ने उनकी गाड़ियों के साथ कोर्ट में दाखिल होने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनको खदेड दिया।
इससे पहले दरखास्त पर जुमे के रोज़ एक घंटे तक बहस हुई, जिसके बाद अदालत ने 20 जून तक के लिए फैसले को महफूज़ रख लिया। डेढ साल से जोधपुर जेल में बंद आसाराम की जमानत की दरखास्त मुख्तलिफ अदालतों में सातवीं बार खारिज हुई है। इससे पहले आसाराम की जमानत की दरखास्त राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रिम कोर्ट की तरफ से खारिज की जा चुकी है।
आसाराम को मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया था। दो सितंबर 2013 से वह जोधपुर के मरकज़ी जेल में बंद हैं। आसाराम के खिलाफ जोधपुर वाके उनके आश्रम में जिंसी इस्तेहसाल का इल्ज़ाम लगाते हुए 16 साल की एक लडकी ने पुलिस मे शिकायत दर्ज कराई थी। अपनी शिकायत में नाबालिग लडकी ने इल्ज़ाम लगाया था कि आसाराम के साथियों ने उसे जोधपुर आश्रम में यह कहकर भेजा था कि उसके ऊपर बुरी आत्मा का असर है और वह (आसाराम) बुरी आत्मा यानी रूह को दूर भगा सकते हैं।