नई दिल्ली, 30 अगस्त: तनाज़े में घिरे आसाराम के खिलाफ जिंसी इस्तेहसाल के इल्ज़ामात की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच के लिए दरखास्त दायर की गई है।
दरखास्त में कहा गया है कि संत के बेटे नारायण साईं ने जिंसी इस्तेहसाल का इल्ज़ाम लगाने वाली लड़की को ज़हनी तौर पर बीमार करार दिया है।
दरखास्त में कहा गया है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2000 को लागू करने में ढिलाई बरतने के इल्ज़ामात की वजह से अपेक्स कोर्ट की देखरेख में इस मसले की जांच जरूरी हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट में चेन्नई के डीआई नाथन की ओर से मुफाद ए आम्मा की दरखास्त दायर की गई है। अर्जी में जोधपुर आश्रम अहाते में आसाराम से मुताल्लिक इस वाकिया की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच का हुक्म देने की दरखास्त की गयी है।
दरखास्त में कहा गया है कि वज़ारत ए दाखिला को मुतास्सिरा की उम्र के लिये फौरन साइंसी तरीके से टेस्ट कराने का हुक्म दिया जाना चाहिए और जांच की निगरानी की जानी चाहिए ताकि सुबूत खत्म नहीं किए जा सकें।
दरखास्त में कहा गया है कि Juvenile Justice Act 2000 के मकसदो की मुस्लसल खिलाफवर्जी हो रही है और पुलिस और रियासती निज़ाम भी अमल नहीं कर रही है। मुल्ज़िम भी नाबालिग मुतास्सिरा के प्राइवेसी और जीने के हुकूक की खिलाफवर्जी कर रहे हैं।
दरखास्त के मुताबिक नौजवान की तरफ से जुर्म के मामले की पुलिस जांच की हस्सासियत और ऐसे जुर्मों की रिपोर्ट देने वाला मीडिया भी कानून की खिलाफवर्जी कर रहा है।
एक नाबालिग के जिंसी हमले के मुल्ज़िम 72 वर्षीय आसाराम को जुमे के दिन जोधपुर पुलिस के सामने हाजिर होना है और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
आसाराम ने अपनी मशरूफियत की वजह से जांच आफीसर के सामने हाजिर होने के लिए 19 सितंबर तक का वक्त मांगा है।