इंडियन मुजाहिदीन का राज खुलेगा बरामद डायरी से

रांची के हिंदपीढ़ी स्थित इरम लॉज से एनआइए और पुलिस ने धमाकों के अलावा कई डायरियां बरामद किए थे। इन डायरियों में इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क की जानकारी है। साथ ही आने वाले दिनों में यह दहशतगर्द तंजीम क्या कुछ करने वाला था, इसकी भी तौसिह जानकारी है। डायरी के कई पन्नों में उर्दू अलफाज का इस्तेमाल है। एनआइए के अफसर इन डायरियों की छानबीन करने के अलावा उर्दू के जानकार को बुलाया और इस सिलसिले में जानकारी हासिल की।

साल 2010 की यह डायरी कुल 167 पन्नों की है। इसके कुछ हिस्से हिंदी में, कुछ अंग्रेजी और कुछ उर्दू में लिखे हुए हैं। एनआइए यह जानने की कोशिश कर रही है कि यहां आने वाले सख्स अंग्रेजी का जानकार कौन था। अंग्रेजी के जो शब्द है, वह खासा पढ़ा-लिखा सख्स इस्तेमाल में लाता है। सख्त हिंदी अलफाज का भी इस्तेमाल है। हाथ से लिखी हुई इस डायरी में कई अहम जानकारियां हैं। कुछ अलफाज़ कोड वर्ड के हैं, जिसे डिकोड करने की कोशिश की जा रही है।

इसमें भारत के बड़े शहरों का जिक्र है। साथ ही कुछ मजहबी मुकामात का जिक्र है। कॉपी उर्दू में लिखी हुई एक कॉपी भी मिली है। इसके पहले पन्ने पर मो नौशाद आलम, इरबा लिखा हुआ है। पेज नंबर 1 से 27 तक तंजीम और उसके तौसिह के सिलसिले में जानकारी है। साथ ही कई अफराद के नाम भी हैं। इसकी भी छानबीन की जा रही है। क्या है दूसरी कॉपी में 26 पन्नों की एक और कॉपी है।

इसे रोलदार कॉपी कहते हैं। उर्दू में इसमें भी बहुत कुछ लिखा हुआ है। इसमें रांची और आसपास के कुछ नौजवानों के नाम भी हैं। इसके बारे में भी जानकारी ली जा रही है। 2011 की डायरी उसी लॉज से साल 2011 की भी एक डायरी मिली है। यह डायरी 160 पन्नों की है और इसके हर पन्ने पर उर्दू में लिखे गए हैं। हाथ से लिखी गयी इस डायरी में कई अहम राज छुपे होने की खदशा है। इसकी भी तफ़सीश चल रही है और उर्दू के जानकार को बुलाकर जानकारी हासिल की जा रही है।