अगर हम जायज़ा लें तो आज भी ये बात बिल्कुल सही मालूम होती है कि इंतिख़ाबात के दौरान पैसे की ताक़त से इनकार नहीं किया जा सकता जिस की ताज़ा तरीन मिसाल हालिया एसेंबली इंतिख़ाबात हैं।
पैसों की ताक़त का अंदाज़ा सिर्फ़ इस बात से लगाया जा सकता है कि ओहदेदारों ने इसी गैर मह्सूब दौलत का पता लगाया है, जो सिर्फ़ वोटर्स को राग़िब करने इस्तिमाल की जाने वाली थी और ये रक़म एक दो करोड़ रुपये नहीं बल्कि पूरे 32 करोड़ रुपये थी जिस में रियासत राजिस्थान सर-ए-फ़हरिस्त रही यहां से गैर मह्सूब 13.4 करोड़ रुपये ज़ब्त किए गए।