ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की मजलिस-ए-आमला का इजलास 22 सितंबर 2013 को दिल्ली में सदर बोर्ड हज़रत मौलाना सय्यद मुहम्मद राबे हसन नदवी साहब हुआ। इस इजलास ने नए वक़्फ़ बिल का जायज़ा लिया और इस बात का इज़हार इतमीनान किया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की पेश करदा कई तजावीज़ को तस्लीम करलिया गया है।
चंद अहम तजावीज़ को यकसर नजरअंदाज़ कर दिया गया है और बाज़ को जुज़वी तौर पर तस्लीम किया गया है। बोर्ड ने इस बात को भी महसूस किया कि ओक़ाफ़ी जायदादों पर नाजायज़ क़ब्ज़ों की बर्ख़ास्तगी का क़ानून बनाने का मर्कज़ी अक़ल्लियती बहबूद जनाब के रहमान ख़ान ने वादा किया था लेकिन इस सिलसिले में अभी तक कोई पेशरफ़्त नहीं हुई है।
इजलास ने तै किया कि क़ानून वक़्फ़ के ताल्लुक़ से वो पहले के मौक़िफ़ पर क़ायम है और इसके मुताबिक़ तरमीमात कराने और नाजायज़ क़ाबज़ीन के इनख़ला-ए-का क़ानून बनवाने की कोशिश करता रहेगा। इस इजलास में इस बात का भी मांग किया गया कि आसारे-ए-क़दीमा की मसाजिद में अगर मुसल्मान नमाज़ अदा करने लगें तो हुकूमत का कोई महिकमा इस अमल को ना रोके बल्कि मुसल्मानों के लिए सेक्योरिटी फ़राहम करे।
नफ़क़ा मुतल्लक़ा का जायज़ा लेने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के इस इजलास ने अपने इस एहसास का इजहार किया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में पार्लीमेंट के इस इंदीया को यक्सर नजरअंदाज़ किया है कि मुस्लिम मुतल्लक़ा के हुक़ूक़ का क़ानून शरियत इस्लामी में दिए गए हदूद तक महदूद करने केलिए बनाया गया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की मजलिस-ए-आमला ने हकूमत-ए-हिन्द से मुतालिबा किया कि इंसिदाद फ़िर्कावाराना तशद्दुद बिल आने वाले पार्लीमेंट के सरमाई इजलास में मंज़ूर करवाए और अगर इस में दुशवारी महसूस हो तो सदारती आरडीनेंस जारी करवाए ताकि इस किस्म के फ़सादाद और मुनज़्ज़म साज़िशों की बरवक़्त रोक थाम होसके और हमारा मुल्क फिर जन्नतनिशॉँ कहलाया जा सके।