रियासत में डोमिसाईल समेत कई सुलगते मसायल पर हुकूमत और इत्तेहादी जमातों के दरमियान राय मुखतलिफ़ है। अहम मसायल पर हुकूमत और इत्तिहाद जमातों की राय अलग है। वज़ीरे आला हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झामुमो डोमिसायल को लागू कराने की हक़ मे है।
हुकूमत के अहम इत्तिहाद कांग्रेस और राजद इस इश्यू से किनारा करना चाहते हैं। झारखंड को खुसूसी रियासत का दर्जा दिलाने के मसले पर भी पार्टियों के दरमियान इत्तिहाद नहीं है। झामुमो खुसूसी रियासत का दर्जा दिलाने के लिए दिल्ली दौड़ लगा रही है, तो कांग्रेस इस मसले को ठंडे बस्ते में डालने के हक़ में है। इस हेसास मामले पर हुकूमत के इत्तिहादी जमातें खुल कर बोलना नहीं चाहते। अपने-अपने वोट बैंक को महफूज रखने के लिए नपे-तुले बयान दिये जा रहे हैं।
खाने की हिफाज़त और ज़मीन को तहवील समेत कांग्रेस की ड्रीम मंसूबों को झारखंड में ग्रहण लग रहा है। ज़मीन तहवील के कानून पर रियासत के वज़ीरे आला ने ही सवाल खड़ा कर दिये हैं। झारखंड के तनाजीर में वे इस कानून को काफी नहीं मान रहे हैं। कांग्रेस नया कानून की हक़ में है। खाने की हिफाज़त बिल को लेकर मर्कज़ी हुकूमत हौला अफजाई है। जबकि रियासत हुकूमत इस सिम्त में कोई खास इकदमात नहीं करती दिखती। आने वाले दिनों में हुकूमत और इत्तिहादी जमातों के दरमियान इन मसायल पर टकराव हो सकता है। ज़राये के मुताबिक हुकूमत को हिमायत दे रहे छोटे जमातों के दारनियाँ भी कई मसायल पर इत्तिफ़ाक़ राय नहीं बन पायी है।