दोनों शहरों मौसमी वबाओं इनफ़लोइंज़ा और निमोनिया की शिकायात में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है। मुमताज़ माहिर इतफ़ाल-ओ-साबिक़ मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट नीलोफ़र हॉस्पिटल डॉ पी सुदर्शन ने कहा हैके हिंदुस्तान में बच्चे इनफ़लोइंज़ा और निमोनिया जैसी वबाओं से ज़्यादा मुतास्सिर हुआ करते हैं।
इन वबाओं से मुतास्सिर 13 फ़ीसद बच्चे दवा ख़ानों में शरीक किए जाते हैं और एक जायज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ उन के मिनजुमला 8 फ़ीसद बच्चे दौरान-ए-इलाज फ़ौत होजाते हैं।
पी सुदर्शन ने कहा कि मौसम बरसात और सरमा के दौरान बुख़ार, खांसी, सर दर्द, आज़ा शिकनी के अलावा गले में ख़राश और नाक से पानी बहना इन वबाओं की अलामत है।
बिलउमूम अंदरून एक हफ़्ता बुख़ार कम होजाता है लेकिन इनफ़लोइंज़ा मोहलिक भी साबित होसकता है जिस से तदारुक के लिए सेहत-ओ-सफ़ाई का ख़ास ख़्याल रखने के अलावा मौसम बरसात और सरमा के आग़ाज़ से पहले टीका अंदाज़ी बेहतर साबित होसकते हैं।