सी ए जी और सी वे सी हुकूमत की तन्क़ीद का निशाना बने हैं जिस ने उनपर पॉलीसी मफ़लूज होजाने का इल्ज़ाम आइद किया है, लेकिन सदर जम्हूरिया प्रणब मुखर्जी ने उन महिकमों और इलेक्शन कमीशन के गैर जांबदार और आज़ादाना फैसलों की सलाहियत की सताइश की।
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (आई आई पी ए) की डाइमंड जुबली तक़रीब से ख़िताब करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सी ए जी और इलेक्शन कमीशन इन मुख़्तलिफ़ लाज़िमी नगर इनकार महिकमों में शामिल हैं जिन्होंने गैर जांबदाराना और आज़ादाना फैसले करते हुए पारलीमानी इदारों को इस्तिहकाम बख्शा है।
इफ़्तेताही ख़ुतबा देते हुए उन्होंने कहा कि लेकिन इस पयाम का इतलाक़ इन फैसलों पर नहीं होता जो आजलाना तौर पर काफ़ी मुबाहिसे और तबादला-ए-ख़्याल के बगैर किए गए थे। इस तबसरे का इतलाक़ सिर्फ़ ख़िदमात की फ़राहमी और फैसला साज़ी में गैर ज़रूरी ताख़ीर से गुरेज़ के फैसलों पर होता है।
सदर जम्हूरिया ने कहा कि जम्हूरियत का जज़बा तामीर क़ौम की बुनियाद है। सदर जम्हूरिया ने कहा कि हुक्मरानी या बेमानी शरह तरक़्क़ी बेमानी होजाती है, अगर इसका तहफ़्फ़ुज़ ना किया जाये और हमारी पालिसीयों की बुनियाद को परवान ना चढ़ाया जाये। हुक्मरानी के तीन बुनियादी अनासिर मुक़न्निना, आमिला और अदलिया को जम्हूरी बुनियादों के इस्तिहकाम के लिए मुसलसल जद्द-ओ-जहद जारी रखनी चाहिए।
उन्होंने शफ़्फ़ाफ़ हुक्मरानी के ज़रीये अवामी ख़िदमात के मीआर को बेहतर बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया ताकि अवाम की बढ़ती हुई तवक़्क़ुआत की तकमील की जा सके। सदर जम्हूरिया ने कहा कि सब को साथ लेकर तरक़्क़ी करना और मियारी और कारकरद अवामी ख़िदमात फ़राहम करना मुबालग़ा आराई नहीं है।
अवाम बेहतर और कारआमद इंतेज़ामीया के मुतालिबा कररहे हैं। वो मज़ीद अदम शफ़्फ़ाफ़ियत और गैर ज़िम्मेदार इंतेज़ामीया को क़बूल नहीं करेंगे। वो तवक़्क़ो करते हैं कि फ़लाही इक़दामात के समरात उन तक मोस्सर अंदाज़ में पहुंचे। अवाम की बढ़ती हुई तवक़्क़ुआत की तकमील अच्छी हुक्मरानी की कार्यवाईयों को बेहतर बनाकर ही की जा सकती है जिस में अवाम की फ़लाह-ओ-बहबूद मुज़म्मिर है।
ये काम मुक़ामी, क़ौमी और बेन अल-अक़वामी सतह पर होना चाहिए।