नई दिल्ली 11 मार्च: इशरत जहां केस में साबिक़ यूपीए हुकूमत पर इल्ज़ाम लगते हुए कि उसने उस वक़्त के चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए एक गहिरी साज़िश रची थी।
वज़ीर-ए-दाख़िला राजनाथ सिंह ने इल्ज़ाम लगया कि साबिक़ हुकूमत में ही इशरत जहां को दहश्तगर्द तंज़ीम लश्करे तैबा से वाबस्ता कर दिया गया था। राजनाथ सिंह ने इस सिलसिले में पी चिदम़्बरम का नाम लिए बग़ैर कहा कि साबिक़ वज़ीरॆदाख़िला ने दहश्तगर्दी को ज़ाफ़रानी दहश्तगर्दी क़रार देते हुए रंग देने की कोशिश की थी। लोक सभा में जवाब देते हुए जिसमें इल्ज़ाम लगया गया था कि इशरत जहां केस के ताल्लुक़ से दाख़िल करदा हलफनामा में रद्दोबदल किया गया था।
वज़ीरे दाख़िला ने कहा कि बदबख़ती की बात है कि मुझे ये कहना पड़ रहा है कि इशरत जहां केस में यूपीए हुकूमत की तरफ से गहिरी साज़िश रचाई गई थी ताकि उस वक़्त के चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी को बदनाम किया जाये।
इस पर कांग्रेस अरकान ने एवान में शोर-ओ-गुल करते हुए एहतेजाज किया और नारे लगाने और एवान के वस्त में पहोनचकर हंगामा क्या। इस हंगामा-आराई के बीच ही राजनाथ सिंह ने इल्ज़ाम लगया कि चिदम़्बरम ने ही दहश्तगर्दी को ज़ाफ़रानी दहश्तगर्दी और हिंदू दहश्तगर्दी का रंग दिया गया।
दहश्तगर्दी को रंग , नसल और मज़हब से वाबस्ता नहीं किया जाना चाहीए। दहश्तगर्दी का कोई रंग नहीं होता। ये सेक्युलर लोग ही दहश्तगर्दी को रंग दे रहे हैं। उनके मतलब के सेकुलरिज्म को ये मुल़्क हरगिज़ क़बूल नहीं करसकता।
उन्होंने कहा कि मुंबई अदालत के सामने पाकिस्तानी अमरीकी नज़ाद दहश्तगर्द डेविड हेडली के हालिया बयान से ये वाज़िह होता है कि साबिक़ यूपीए हुकूमत ने ही 6 अगस्त 2009 को पहला हलफनामा दाख़िल किया था और गुजरात हाइकोर्ट में इशरत जहां को लश्करे तैबा से वाबस्ता क़रार दिया था।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हेडली के बयान से वाज़िह होजाता है कि इशरत जहां एक दहश्तगर्द थी। वाज़िह रहे कि इशरत जहां को अहमदाबाद के क़रीब एनकाउंटर के ज़रीये हलाक किया गया था।