इशरत जहां से संबंधित कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पूर्व पुलिस अधिकारियों डीजी वंजारा और एनके अमीन की उन याचिकाओं पर सीबीआई अदालत ने फैसला सुनाया।
सीबीआई कोर्ट ने वंजारा औरअमीन की आरोपमुक्त किए जाने की अपील को खारिज किया। विशेष न्यायाधीश जेके पांड्या ने 30 जून को सुनवाई पूरी कर ली थी।
इस मामले में गुजरात पुलिस के पूर्व प्रभारी महानिदेशक पीपी पांडेय को साक्ष्यों के अभाव में फरवरी में मामले से आरोपमुक्त कर दिया गया था। वंजारा ने मामले में समान आधार पर खुद को आरोपमुक्त किये जाने का आग्रह किया है।
वंजारा ने अपने आवेदन में यह भी दावा किया है कि एजेंसी द्वारा दायर किया गया आरोपपत्र ‘मनगढ़ंत’ है और मामले में उनके खिलाफ कोई ‘अभियोजन योग्य सामग्री’ नहीं है और गवाहों के बयान ‘काफी संदिग्ध’ हैं।
वहीं 11 जुलाई को बंबई हाईकोर्ट में गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंजारा पर गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और तुलसीराम प्रजापति को फर्जी मुठभेड़ में मारने की साजिश रचने का आरोप लगा।
सोहराबुद्दीन शेख के भाई रूबाबुद्दीन शेख के वकील ने यह आरोप कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन, राजकुमार पांडियान और वंजारा को आरोपमुक्त करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान लगाया।
रूबाबदुद्दीन शेख के वकील गौतम तिवारी ने न्यायमूर्ति ए एम बदर की पीठ के सामने दावा किया कि फर्जी मुठभेड़ की साजिश वंजारा ने रची। तिवारी ने कहा, ”वह गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते के प्रमुख थे जिसने सोहराबुद्दीन और अन्य को अगवा कर उनकी हत्या की।
हालांकि वंजारा अपहरण या जहां उन्हें मारा गया, वहां मौजूद नहीं थे लेकिन उनके निर्देश पर उनके अधिकारियों ने साजिश को अंजाम दिया।