इशक़े रसूल‌(स०अ०व०.)के बगैर क़ुर्बे इलाही नामुमकिन

बीदर, 05 फ़रवरी: अल्लाह रबब्बुलइज़्ज़त ने हुज़ूरे अकरम नबी करीम को तमाम जहानों के लिए रहमत बनाकर शान वो अज़मत के साथ दुनिया में भेजा। ख़ुद अल्लाह तआला रसूल मक़बूल हज़रत मुहम्मद (स०अ०व०.) पर दुरूद का नज़राना भेजता है और फ़रिश्तों को भी हुक्म दिया कि मेरे हबीब पर कसरत से दुरूद पढ़ो।

हज़रत मुहम्मद (स०अ०व०.) पर दरूद-ओ-सलाम का नज़राना भेजा करो। आप इस का जवाब देते हैं। इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना मुहम्मद अतीक़ुर्रहमान कादरी रज़वी हावेरी शरीफ़ ने नौजवान फ़ैज़ पूरा बीदर की जानिब से दरगाह हज़रत ख़्वाजा अबुलफैज़‌ बीदर के रूबरू कल बादनमाज़े इशा मुनाक़िदा जलसा जश्न-ए-मीलादुन्नबी को मुख़ातिब करते हुए किया।

अम्बिया-ए-किराम को हज़रत मुहम्मद के उम्मती होने पर फ़ख़र है। इशक़े रसूल को इख़तियार करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि इशक़े रसूल के बगै़र इताअत वो क़ुर्ब ख़ुदावंदी मुम्किन नहीं। अल्लाह चाहता है कि जहां इस का ज़िक्र होरहा है वहां इस के प्यारे हबीब का भी ज़िक्र हो। हुज़ूरे अकरम नबी करीम को हम जब तक तन मन धन और माँ बाप, औलाद-ओ-अपनी जान से ज़्यादा अज़ीज़ नहीं मानेंगे हम कामिल मुसलमान नहीं होसकते।

हज़रत अबू हुरैरा(रज़ियल्लाहु अन्हु) ने आप (स‍०ल‍०व०) की ख़िदमत में एक खजूर की थेली पेश करते हुए बरकत की दुआ की गुज़ारिश की। आप (स‍०ल‍०व०) ने दुआये बरकत फ़रमाते हुए अपने दस्ते मुबारक से अबूहुरैरा के हवाले किया। इन ख़जूरों को तीस बरस तक लोग खाते गए। मगर खजूर ख़त्म नहीं हुई।

मौलाना ने इस्लामी तालीमात की रोशनी में हुज़ूर की मक्की व मदनी ज़िंदगी पर सैर हासिल रोशनी डालते हुए तलक़ीन की कि हुज़ूरे अकरम (स‍०ल‍०व०) की तालीमात और अहकामात पर अमल करते हुए अपनी आक़िबत दरुस्त करलें। जनाब मुहम्मद आज़म ख़ान ने इस्तिक़बालीया ख़िताब करते हुए मीलाद पाक की मुबारकबाद दी।

और असरी तालीम के साथ साथ दीनी तालीम पर ज़ोर देते हुए कहा कि हुज़ूर की मुहब्बत को अपने दिलों में क़ायम रखते हुए आप (स‍०ल‍०व०) की तालीमात की रोशनी में हम ज़िंदगी के हर शोबे में कामयाबी-ओ-कामरानी हासिल करसकते हैं। सय्यद शाह मुईनुद्दीन हुसैनी ने अपने ख़िताब में दुरूदे पाक की फ़ज़ीलत पर तफ़सीली रोशनी डाली।

जनाब सय्यद शाह अहमदुल्लाह मुहम्मद, मुहम्मद हुसैनी, बिरादर सज्जादा नशीन हज़रत ख़्वाजा अबुलफ़ैज़ ने जलसे की निगरानी की। मुहम्मद नज़ीर अहमद निज़ामी उस्ताद अनवारुल क़ुरआन ने क़िरात की, मुहम्मद शरीफ़, सय्यद शाह फ़रीदुद्दीन हुसैनी, उर्फ़ फज़ील चिशती, मुहम्मद उबैदुल्लाह अत्तारी ने नाते रसूल (स‍०ल‍०व०) पेश की।

मौलाना मुहम्मद ख़्वाजा मुईनुद्दीन निज़ामी नाज़िम माहिद अनवारुल‍ क़ुरआन,मुहम्मद हबीबुर्रहमान साबिक़ रुकन बलदिया, सय्यद शाह मुहिबुल्लाह कादरी, अबदुलग़फ़्फ़ार कनीज़, मुहम्मद शफ़ीउद्दीन, मौलाना मुहम्मद अज़ीम अहमद कादरी शाह नशीन पर मौजूद थे। मौलाना सय्यद सिराजुद्दीन निज़ामी ने निज़ामत के फ़राइज़ अंजाम दिए, मुहम्मद रफ़ीक़ अहमद कारपेंटर ने इज़हार-ए-तशक्कुर किया। जलसे में आशिकाने रसूल की कसीर तादाद मौजूद थी। रात देर गए मौलाना की ख़ुसूसी दुआ और सलाम के बाद जलसे का इखतेताम हुआ।