अब्दुल हमीद अंसारी। Siasat hindi
मौजूदा वक्त में इसलाम ही मुआशरे को बेहतर दिशा दिखला सकता है। यह वाहिद एक ऐसा मज़हब है, जहां औरतों को परदे में रहने की हिदायत करता है। शायद दुनिया आज भी इस बात से महरूम हैं के औरत परदे में रहकर ही महफूज़ रह सकती है और इज्जत की जिंदगी जी सकती है। इसलाम हमेशा से कहता आ रहा है कि जब भी खातून बेपर्दा होगीं, समाज में इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। आज आजादी और हक़ की बात कह कर इसलाम पर दुनिया उंगली उठाती है। कहा जाता है कि इसलाम में खातून को खुलकर जीने की आजादी नहीं है, वो जो चाहती है, वो कर नहीं सकती। अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आज मुआशरे का हाल हम सब को पता चल रहा है, अब हमें अहसास भी हो रहा है कि आजादी और हक़ के नाम पर
हमारी बहु बेटियां कहा पहुंच गई है। क्या हमे इसी समाज की जरूरत है ?
आइए इस रिपोर्ट को पढ़कर मौजूदा समाज की हालत को समझने की कोशिश करते हैं –
मौजूदा वक्त में लगातार पार्टी करने का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। आज के युवा देर रात किसी फार्म हाउस, पब आदि जगह पर नए नए दोस्तों के साथ पार्टी करके मौज-मस्ती करते हैं। अब इसी से मुतालिक एक सर्वे सामने आया है।
सर्वे में बताया गया है कि मेट्रो शहर की लड़कियां पार्टी में काफी शामिल हो रही हैं। वे पार्टियों में नए दोस्तों के साथ मौज मस्ती करती हैं और इसके बाद यौन संबंध भी बनाती हैं।
शहर से दूर इंतजाम की जाने वाली इन पार्टियों में मौज मस्ती, डांस वगैरह के अलावा भी बहुत कुछ होता हैं। यहां आई लड़कियां अपनी वर्जिनिटी तक खो रही हैं।
इस तरह की पार्टियों का चलन शहर में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यहां लिंग के आकार का केक बनता है और मेल स्ट्रिपर को भी बुलाया जाता है।
हर पार्टी का बजट तकरीबन बीस हजार रुपयों से कम नहीं होता है। सर्वे के मुताबिक, इस तरह की पार्टियों के लिए ज्यादातर लड़कियां की पसंद शहर के दूर बने फार्म हाउस ही रही है।