कुछ दिन पहले रायुल यौम समाचार पत्र की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई जिसमें सीरिया की राजधानी दमिश्क़ के क़रीब स्थित यरमूक शिविर की दाइश और अन्नुस्रा आतंकी संगठनों के क़ब्ज़े से आज़ादी के बाद की स्थिति की बात की गई थी।
रिपोर्ट में बताया गया कि शरणार्थी फ़िलिस्तीनियों के लिए बनाए गए इस शिविर को आतंकियों के क़ब्ज़े से आज़ाद कराने के बाद सबसे पहले जो लोग भीतर गए उन्होंने वहां क्या देखा कि फ़िलिस्तीनी शहीदों की क़ब्रों को खोद दिया गया है। इनमें अबू जेहाद जैसे वरिष्ठ फ़िलिस्तीनी नेताओं की क़ब्रें भी शामिल थीं।
मगर यह नहीं पता चल पा रहा था कि इन क़ब्रों को क्यों खोदा गया। इनमें उन शहीदों की क़ब्रें शामिल हैं जो सन 1965 की फ़िलिस्तीन क्रान्ति का हिस्सा थे। फ़िलिस्तीनी नेता तलाल नाजी ने अलमयादीन टीवी चैनल के साथ बातचीत में इस संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण तथ्यों से पर्दा हटाया। नाजी ने बताया कि आतंकियों ने इन क़ब्रों को खोद कर फ़िलिस्तीनी क्रान्ति के शहीद नेताओं का अपमान नहीं करना चाहा बल्कि वह वास्तव में वर्ष 1982 में लेबनान में होने वाले सुलतान याक़ूब युद्ध में मारे गए इस्राईली सैनिकों के शवों के अवशेष खोज रहे थे। एसा लगता है कि इस्राईल के पास एसी जानकारियां हैं कि मारे गए इस्राईली सैनिकों को यरमूक के पुराने क़ब्रिस्तान में दफ़नाया गया था।
तलाल नाजी ने कहा कि इस्राईल की यह ग़लत फ़हमी है क्योंकि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र कभी भी इस्राईली सैनिकों को अपने क़ब्रिस्तान में दफ्न नहीं कर सकता। हुआ यह कि एक फ़िलिस्तीनी अधिकारी ने एक इंटरव्यू में कुछ इस प्रकार की बातें कीं जिनसे इस्राईली अधिकारियों को लगा कि इस्राईली सैनिकों के शव यरमूक के क़ब्रिस्तान में दफ़्न हो सकते हैं।
जब यरमूक पर दाइश और अन्नुस्रा का क़ब्ज़ा हो गया कि उस समय इस्राईली एजेंसियां बड़ी मेहनत से लग गईं कि इस्राईली सैनिकों के शवों के अवशेष को खोजा जाए। इस्राईल की ओर से आतंकी संगठनों को संदेश भेजा गया कि यदि उन्होंने इस्राईली सैनिकों के दफ़्न होने के स्थान का सुराग़ लगाने में मदद की तो उन्हें तेल अबीब से भारी इनाम मिलेगा। इस्राईली अधिकारियों ने आतंकी संगठनों को यह हिंट दिया कि इस्राईली सैनिकों को संभावित रूप से यरमूक के शहीदों के क़ब्रिस्तान में दफ़्न किया गया है।
जिस दिन यरमूक को आज़ाद कराया गया और वहां से आतंकियों को आख़िरी खेप हथियार डालकर बाहर निकली तो उसके साथ कुछ आम लोग भी थे। कुछ लोगों के पास एसी बोरियां थीं जिनमें मिट्टी भरी हुई थी। एसी ही एक महिला ने स्वीकार किया कि यह मिट्टी शहीदों के क़ब्रिस्तान से ली गई है।
वर्ष 1982 में जब लेबनान के ख़िलाफ़ इस्राईल का युद्ध शुरू हुआ तो इस्राईली सेना के डिवेजन-90 के सैनिक लेबनान में घुस गए। इस लड़ाई में बड़े उतार चढ़ाव आए और कई इस्राईली सैनिक मारे गए। कुछ इस्राईली सैनिकों को सीरियाई सेना ने गिरफ़तार करके राजधानी दमिश्क़ की गलियों में घुमाया था। इस्राईल अब इन्हीं सैनिकों के शवों के अवशेष खोज रहा है।
कमाल ख़लफ़
वरिष्ठ अरब पत्रकार और लेखक