इस्लाम अपनाने वाले मृतक ने कहा था: “अगर वे मुझे मारना चाहते हैं तो मारने दो”

लगभग एक महीना पहले केरला के मलप्पुरम के कोडिन्ही के एक स्थानीय इमाम ने अनिल कुमार, जिसने कुछ ही दिन पहले इस्लाम धर्म अपनाया था और अपना नाम बदल कर फैसल रखा था, उसे सुझाव दिया था कि वह अपनी सुरक्षा के लिए समुदाय से मदद मांगे। लेकिन 30 वर्षीय फैसल ने यह कहते हुए सुझाव ठुकरा दिया, “इस्लाम अपनाने के बाद मैंने सब कुछ अल्लाह पर छोड़ दिया है। अगर वे लोग मुझे मारना चाहते हैं तो मारने दो।”

शनिवार की सुबह, उसकी सऊदी अरब वापसी से एक दिन पहले, जहाँ वह पिछले छ: साल से ड्राईवर की तरह काम कर रहा था, फैसल को अज्ञात लोगों ने जान से मार डाला। उस वक़्त वह तिरुवनंतपुरम से आ रहे अपने सास-ससुर को लेने रेलवे स्टेशन की तरफ जा रहा था।

हालाँकि पुलिस ने अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक फैसल को सिर्फ इस्लाम धर्म अपनाने के लिए नहीं बल्कि दूसरों से भी इस्लाम को अपनाने के लिए कहने के लिए मारा गया है।

फैसल, जो एक उच्च जाति के हिन्दू नायर परिवार से ताल्लुक रखता था उसने आठ महीने पहले रियाद में इस्लाम धर्म अपनाया था। अगस्त में घर आने के बाद, उसने अपनी पत्नी और तीन बच्चों का भी धर्म परिवर्तन कराया था।

सूत्रों ने बताया कि फैसल अपनी माँ का भी धर्म परिवर्तन कराना चाहता था। “क्योंकि वह सऊदी अरब लौटने वाला था इसलिए उसने स्थानीय मुस्लिम नेता से अपनी माँ के धर्म परिवर्तन के लिए इंतजाम करने के लिए कहा था, ” सूत्रों ने बताया।

पुलिस में मौजूद सूत्रों ने बताया कि अपने परिवार में इस्लाम धर्म अपनाने वाला अकेला व्यक्ति नहीं है कई साल पहले उसके अंकल ने भी अपने परिवार सहित इस्लाम धर्म अपनाया था। उसके अंकल का परिवार अभी भी इसी जिले में रहता है।

“मेरे परिवार में पहले भी कई लोगों ने इस्लाम धर्म अपनाया है लेकिन पता नहीं मेरे बेटे को ही निशाना क्यों बनाया, ” फैसल की माँ मिनाक्षी ने कहा।

कोडिन्ही में उसके पिता ने कहा, “वह अपनी मर्ज़ी से मुसलमान बना था। उस पर किसी ने दबाव नहीं बनाया था। यह उसका अपना फैसला था। लेकिन उसे जीने नहीं दिया गया।” हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि उसके इस फैसले से कुछ रिश्तेदार खुश नहीं थे।

फैसल के माता-पिता जो दिहाड़ी मजदूर हैं वे अपने पैतृक घर में रहते हैं जबकि फैसल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ करीब ही एक किराए के घर में रहता था।

नायर परिवार के मुस्लिम पड़ोसियों ने भी बताया कि फैसल के रिश्तेदार उससे काफी नाराज़ थे। “अगस्त में जब वह घर आया था, तब उसके रिश्तेदारों ने उसका बहुत विरोध किया था और उस पर हमले की धमकी भी दी थी। लेकिन फैसल ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। फैसल की पत्नी रिश्तेदारों की धमकी के बावजूद उसके फैसले के पक्ष में रही।” उसके पडोसी ने आगे कहा, “फैसल अपनी पत्नी और बच्चों को कुछ समय बाद सऊदी अरब ले जाना चाहता था।”

मलप्पुरम के कोडिन्ही गाँव में अधिकाँश आबादी मुस्लिम की है और वहां फैसल के पड़ोस में सिर्फ चार हिन्दू परिवार रहते हैं। हिन्दू परिवार ज्यादातर मजदूरी करते हैं जबकि मुस्लिम परिवारों के सदस्य खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं। फैसला सऊदी अरब जाने से पहले एक मुस्लिम व्यापारी के यहाँ काम किया करता था।

कोडिन्ही के मुस्लिम समुदाय के लोग बताते हैं कि फैसल कई सालों से इस्लाम अपनाना चाहता था, वह अपने बेटे को भी अरबी स्कूल में भेजना चाहता था। “हालाँकि उसका बेटा सामान्य स्कूल में ही जाता था लेकिन वह अलग से अरबी शिक्षा हासिल कर रहा है। वह अरबी कक्षा में इकलौता हिन्दू छात्र था, ” एक स्थानीय मुस्लिम नेता ने बताया।

धर्मांतरण के बाद भी, फैसल का उसके माता पिता और दो बहनों के साथ अच्छा रिश्ता था और वह उनकी मदद करता रहता था।

“हम अभी फैसल के परिजनों और अन्य लोगों के बयान की जांच कर रहे हैं। हमें फैसल के परिजनों ने बताया है कि उसे कुछ रिश्तेदारों ने धमकी दी थी, ” मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने कहा।

फैसल की हत्या, मलप्पुरम जहाँ की कुल आबादी का 70.24 प्रतिशत मुस्लिम हैं, वहां इस्लाम धर्म अपनाने पर हत्या का यह दूसरा मामला है। इससे पहले 1998 में, अयप्पम, जो एक मंदिर में पुजारी था, उसके इस्लाम को अपना कर अपना नाम यासिर कर लेने पर आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने उसकी हत्या कर दी थी। उस मामले में सत्र अदालत ने छ आरोपियों को बरी कर दिया था लेकिन बाद में उच्च न्यायलय ने उन्हें आरोपी साबित कर उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन इस साल 20 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।