जर्मनी में इस्लाम को लेकर नई बहस छिड़ी हुई है कि क्या इस्लाम जर्मनी का हिस्सा है या नहीं? हाल के सालों में इस सवाल की गूंज बार-बार जर्मन राजनीति में सुनाई देती रही है।
इस सवाल ने न सिर्फ जर्मनी की सियासत को प्रभावित किया है, बल्कि जर्मन समाज के ताने बाने पर भी इसका असर दिख रहा है। लेकिन इस्लाम को लेकर ताजा बहस की शुरुआत जर्मनी की नई सरकार में गृह मंत्री का पद संभालने वाले हॉर्स्ट जेहोफर के बयान से हुई है।
जर्मनी में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार बिल्ड को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “इस्लाम जर्मनी का हिस्सा नहीं है। जर्मनी को ईसाइयत ने आकार दिया है। यहां रहने वाले मुसलमान बेशक जर्मनी का हिस्सा हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को कुरबान कर दें।” इसके तुरंत बाद जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का बयान आया जिसमें उन्होंने साफ कहा कि चालीस लाख से ज्यादा मुसलमानों ने जर्मनी को अपना घर बनाया और ये मुसलमान जर्मनी का हिस्सा हैं इसलिए उनका धर्म इस्लाम भी जर्मनी का हिस्सा है।
सीडीयू पार्टी की नेता अंगेला मैर्केल और सीएसयू पार्टी के नेता जेहोफर बेहद करीबी सहयोगी रहे हैं। लेकिन कुछ मुद्दों पर उनकी राय एकदम अलग है। 2015 में जब मैर्केल ने बड़ी संख्या में शरणार्थियों को जर्मनी में आने की अनुमति दी थी तो जेहोफर इस फैसले से कतई खुश नहीं थे। नए चुनावों के बाद सरकार में शामिल होने से पहले उन्होंने इस बात पर चांसलर मैर्केल को सहमत करा दिया कि जर्मनी में एक साल के भीतर दो लाख से ज्यादा नए शरणार्थी नहीं आ सकते हैं।
जर्मनी में रहने वाले ज्यादातर मुसलमान उन “मेहमान कामगारों” के वंशज हैं जिन्हें काम करने के लिए 1960 और 1970 के दशक में तुर्की से लाया गया था। लेकिन देश की मुस्लिम आबादी में 2015 में एकदम से इजाफा हो गया जब चांसलर मैर्केल ने युद्ध झेल रहे सीरिया, इराक और अफगानिस्तान के लोगों के लिए दरवाजे खोल दिए। एक झटके में दस लाख से ज्यादा मुसलमान जर्मनी में आ गए।
वैसे जर्मनी में इस्लाम को लेकर बहस पुरानी है। 2006 में चांसलर मैर्केल की पहली सरकार में गृह मंत्री रहे वोल्फगांग शौएब्ले ने कहा था कि इस्लाम जर्मनी और यूरोप का हिस्सा है। उस वक्त इस बयान पर थोड़ी बहुत प्रतिक्रिया हुई थी।
लेकिन जब 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति क्रिस्टियान वुल्फ ने फिर इस बात को दोहराया तो एक राष्ट्रीय बहस शुरू हो गई कि आखिर जर्मन होने का मतलब क्या है। चांसलर मैर्केल लगातार कहती रही हैं कि इस्लाम और मुसलमान जर्मनी का हिस्सा हैं और उनकी नई सरकार भी मुस्लिम समुदाय के साथ उस संवाद को जारी रखेगी जिसकी शुरुआत 2006 में शौएब्ले ने की थी। लेकिन गृह मंत्री होने के नाते जेहोफर को ही इस संवाद का नेतृत्व करना है।