कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह अपने राजनीतिक जीवन के सबसे कड़े इम्तिहान में फंसे हैं। हिंदू आतंकवाद का मुद्दा उठाने वाले दिग्विजय भोपाल में साधुओं की मदद से बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
दिग्विजय सिंह जानते हैं कि करीब 19.75 लाख वोटरों वाली भोपाल लोकसभा में मुसलमान उनके साथ खड़े रहेंगे। भोपाल में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब पांच लाख है। बाकी के वोटरों को अपनी तरफ करना दिग्विजय सिंह की राह में सबसे बड़ी चुनौती है।
डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, भोपाल लोकसभा सीट में अंतर्गत कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने इन आठ में से पांच सीटें जीती थीं। बाकी वोटरों को अपनी तरफ खींचने के लिए दिग्विजय सिंह अपनी छवि में बदलाव करते भी दिख रहे हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, दिग्विजय सिंह को भी अपनी राजनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। 26/11 के मुंबई हमलों और दिल्ली के बटला हाउस इनकाउंटर जैसे मुद्दों पर विवादित बयान देने वाले दिग्विजय सिंह अब बहुत संभल संभल कर बोल रहे हैं।
दिग्विजय सिंह, भोपाल में अपनी हिंदू विरोधी छवि को बदलने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। भोपाल में उनके चुनाव प्रचार में साधु संत दिखाई पड़ रहे हैं।
दिग्विजय सिंह को 40-42 डिग्री की गर्मी में यज्ञ और हवन भी करने पड़ रहे हैं। दिग्विजय बीजेपी के हिंदुत्व का जवाब अपने सॉफ्ट हिंदुत्व से देने की कोशिश कर रहे हैं। संत यात्रा, हवन, नर्मदा यात्रा इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को बीजेपी का गढ़ समझा जाता है। 1989 से बीजेपी यह लोकसभा सीट लगातार जीतती आ रही है। क्या दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके और दिग्गज कांग्रेसी नेता बीजेपी के इस रथ को रोक सकेंगे।